शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी केस में दर्ज होगी एफआईआर
Breaking Hindi News (आज समाज), मुंबई : 2 मार्च 2022 को सेबी की पहली महिला अध्यक्ष बनी माधबी पुरी बुच की मुश्किलें आने वाले समय में बढ़ने वाली हैं। दरअसल शेयर बाजार में कथित भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई करते हुए एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के आरोप में उनपर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं।
दरअसल उन पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगाए थे। विपक्षी दलों की ओर से भी उन पर समय-समय पर कई आरोप लगते रहे हैं। बीते शुक्रवार को उनका कार्यकाल खत्म हुआ है। उनकी जगह ओडिशा कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडे को सेबी का प्रमुख नियुक्त किया गया है।
पूर्व सेबी अध्यक्ष सहित पांच अन्य पर भी होगी कार्रवाई
पूर्व सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा, प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगा और 30 दिनों के भीतर मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच जरूरी है। आदेश में कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है।
अदालत ने इनपर कार्रवाई करने के निर्देश दिए
माधबी बुच के अलावा जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदररामन राममूर्ति, इसके तत्कालीन चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल और सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।
शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल है। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया, तथा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता खोला। शिकायतकर्ता ने कहा कि कई बार पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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