नई दिल्ली। आखिरकार पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम को कोर्ट से राहत मिल ही गई। आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदबंरम को जमानत मिल गई। लेकिन उन्हें सशर्त जमानत दी गई। पी. चिदंबरम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 106 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट ने पी चिदंबरम को दो लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी। कोर्ट ने कहा है कि वह अनुमति के बिना विदेश यात्रा नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दी। कोर्ट ने दो लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के दो मुचलकों पर जमानत देने का निर्णय लिया। कांग्रेस नेता अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे, साथ ही वह न तो किसी गवाह से बात करेंगे, न ही इस मामले में कोई सार्वजनिक टिप्पणी करेंगे, न कोई साक्षात्कार देंगे। बता दें कि आईएनएक्स मीडिया मामले में पहले वह सीबीआई की हिरासत में थे फिर उन्हें ईडी की हिरासत में रखा गया। चिदंबरम को 21 अगस्त 2019 को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया है कि वह जेल में रहते हुए भी मामले के अहम गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं। ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आर्थिक अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं, क्योंकि वे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं, बल्कि व्यवस्था में लोगों के यकीन को भी ठेस पहुंचाते हैं। चिदम्बरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की थी। श्री सिब्बल ने अपनी दलील में कहा था कि रिमांड अजीर् में ईडी ने आरोप लगाया है कि चिंदबरम गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे, जबकि वह तो ईडी की हिरासत में थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम की जमानत मंजूर नहीं की गयी मानो वह रंगा-बिल्ला हों।