एजेंसी,न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही उस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा दक्षिण एशिया में फलदायी सहयोग के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद को खत्म करना पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि दक्षेस की प्रासंगिकता आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम से ही तय होगी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर दक्षेस के मंत्रियों की परिषद की अनौपचारिक बैठक में जयशंकर ने कहा, ”हमारी केवल गंवा दिए मौकों की ही नहीं, बल्कि जानबूझकर पैदा बाधाओं की कहानी है। आतंकवाद भी उन्हीं में से एक है।” वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी खार खाए बैठे थे। उन्होंने भारत के जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को हटाए जाने के विरोध में दक्षेस के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का बहिष्कार किया था। जयशंकर ने 2014 में काठमांडो में दक्षेस नेताओं के बयान को दोहराया जिसमें उन्होंने आतंकवाद के जड़ से खात्मे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कानून को लागू करने समेत ‘आतंकवाद के दमन पर दक्षेस क्षेत्रीय संधि को ‘पूर्ण एवं प्रभावशाली तरीके से लागू करने की अपील की।
मंत्री ने कहा, ”दक्षेस की प्रासंगिकता आतंकवाद के खिलाफ इन कदमों से ही तय होगी और इन्हीं से और उत्पादक बनने की भविष्य की हमारी सामूहिक यात्रा का फैसला होगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद की जड़ें दुनिया के हर कोने में हैं, यदि दक्षिण एशियाई क्षेत्र पीछे रह जाता है तो ऐसा इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र में वह सामान्य व्यापार और संपर्क नहीं है जो अन्य क्षेत्रों में है। जयशंकर ने कहा, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने मोटर वाहन एवं रेलवे समझौतों जैसी संपर्क की कुछ पहलों के संदर्भ में कोई प्रगति नहीं की है। इसी प्रकार दक्षेस क्षेत्रीय वायु सेवा समझौते में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। इस समझौते की पहल भारत ने की थी। उन्होंने बैठक में कहा कि दक्षिण एशियाई उपग्रह का उदाहरण यह बताता है कि भारत अपने पड़ोसियों को समृद्ध बनाने वाली पहलों पर किस प्रकार काम कर रहा है। उन्होंने दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय का भी उदाहरण दिया, जहां भारत पीढ़ियों को प्रभावित करने वाली अकादमिक उत्कृष्टता के निर्माण के लिए अति सक्रिय है। जयशंकर ने बताया कि गुजरात में स्थापित दक्षेस आपदा प्रबंधन केंद्र (एसडीएमसी-अंतरिम ईकाई) ने पिछले दो साल में 350 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दिया।