Aaj Samaj (आज समाज), Foreign Minister Jaishankar, पुणे: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आतंकी वारदात को अंजाम देते समय किसी नियम को नहीं मानते, इसलिए उनके खात्मे के लिए भी कोई नियम नहीं हो सकता। आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है। वह पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान वहां के युवाओं के साथ भारत के वैश्विक उदय और बेहतर अवसरों पर बात कर रहे थे। जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा, आतंकवाद किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पहले आतंकवाद को लेकर नीतियां पूरी तरह से अलग थी
देश की विदेश नीति के बदलाव पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, पहले आतंकवाद को लेकर नीतियां पूरी तरह से अलग थी। 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में 50 फीसदी बदलाव आया है और 50 फीसदी निरंतरता है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के बाद एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसने महसूस नहीं किया कि हमें जवाब नहीं देना चाहिए।
1947 में आक्रमण का भारत ने डटकर मुकाबला किया
विदेश मंत्री ने कहा, आतंकियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, इसलिए उन्हें कोई छू नहीं सकता। उन्होंने कहा, कहा, 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया और भारतीय सेना ने उसका डटकर मुकाबला किया और राज्य का एकीकरण हुआ। जयशंकर ने बताया कि जब 2014 में मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो चीन से सटी सीमा पर बुनियादी ढांचे का बजट 3,500 करोड़ रुपए था लेकिन आज यह 14,500 करोड़ रुपए है।
जब तक सीमाएं सुरक्षित नहीं, सेनाएं वहीं तैनात रहेंगी
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच जयशंकर ने कहा कि जब तक सीमाएं सुरक्षित नहीं हो जाती, तब तक सेनाएं वहीं तैनात रहेंगी। उन्होंने कहा, पहले के समझौते के अनुसार, सीमा पर कोई बड़ा हथियार तैनात नहीं किया गया था, लेकिन कोविड के दौरान चीन ने ही पहले समझौते का उल्लंघन किया था। जयशंकर ने आगे कहा कि भारत चाहता है कि सीमा स्थिर रहे और दोनों देशों के बीच तनाव कम रहे।
अर्थव्यवस्था के मामले में हम 2-3 साल में शीर्ष पर होंगे
विदेश मंत्री ंने बताया कि एक समय था जब भारत आर्थिक रूप से दुनिया पर हावी रहता था, लेकिन फिर पश्चिमी शक्तियां आईं और हम कठिनाई से गुजरे। लेकिन आज, अर्थव्यवस्था के नाम पर चीन दूसरे नंबर पर है तो भारत पांचवें नंबर पर। आने वाले 2 या 3 साल में हम टॉप 3 पर होंगे और ये हकीकत है। पाकिस्तान की तरह ही चीन भी भारत का पड़ोसी है, और सीमा समझौता इसके साथ भी एक समझौता और चुनौती है। एस जयशंकर ने कहा, भारत को चीन से मुकाबला करना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, इसमें पड़ोसी देश भी हमारी विरोधी विचारधारा का समर्थन कर सकते हैं।
चीन को लेकर नेहरू ने खारिज कर दी थी पटेल की चिंताएं
जयशंकर ने कहा कि चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर कहा था कि भारत को चीन के आश्वासनों को बिना सोचे-समझे नहीं लेना चाहिए लेकिन नेहरू ने उनकी चिंताओं को खारिज कर दिया और कहा कि चीनी एशियाई लोग हैं और उनके मन में भारत के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है।
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