आज समाज डिजिटल,नई दिल्ली: सांसद कार्तिक शर्मा ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए जून 2019 से सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में प्रश्न पूछा। इसके जवाब में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के लिखित जवाब में बताया कि विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने एक निवेशक अनुकूल नीति बनाई है, जिसमें कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई के लिए खुले हैं।
चालू वित्त वर्ष 2022-23 (दिसंबर, 2022 तक) के दौरान लगभग 98% एफडीआई इक्विटी प्रवाह स्वत: मार्ग के तहत आया है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक आकर्षक और निवेशक अनुकूल गंतव्य बना रहे, एफडीआई नीति की निरंतर आधार पर समीक्षा की जाती है। शीर्ष उद्योग मंडलों, संघों, उद्योगों और समूहों के प्रतिनिधियों और अन्य संगठनों सहित हितधारकों के साथ विचार विमर्श करके नीति में आवश्यक बदलाव किए गए हैं।
जून 2019 से विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति में किए गए सुधार
जून 2019 से, कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, डिजिटल मीडिया, बीमा, नागरिक उड्डयन, रक्षा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति में सुधार किए गए हैं। इसके अलावा, एफडीआई मार्ग के तहत सरकारी अनुमोदन प्राप्त करने वाले सभी प्रस्ताव अब राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल पर दायर किए जाते हैं। इसके अलावा, देश में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालयों, राज्य सरकारों और विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से निवेश आउटरीच गतिविधियां की जाती हैं।
देश में FDI प्रवाह में हुई वृद्धि
सांसद कार्तिक शर्मा ने भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा, इस पर मंत्रालय ने बताया कि FDI नीति सुधारों पर सरकार द्वारा किए गए उपायों के परिणामस्वरूप देश में FDI प्रवाह में वृद्धि हुई है। भारत में FDI प्रवाह 2014-15 में लगभग 45 बिलियन अमरीकी डालर था और तब से लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत में लगभग USD 85 बिलियन (अनंतिम आंकड़े) का अब तक का अपना उच्चतम वार्षिक FDI प्रवाह दर्ज किया है। भारत के FDI संबंधी ये रुझान वैश्विक निवेशकों के बीच प्राथमिकता वाले निवेश स्थल के रूप में इसकी स्थिति की पुष्टि करते हैं।
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