अमित वालिया, सतनाली:
Forced to Spend Cold Nights: दिसंबर माह के अंतिम दिनों में हल्की बूंदाबांदी व बरसात के बाद क्षेत्र में अब सर्दी ने भी जोर पकड़ लिया है। सर्दी के मौसम में कस्बे में रैन बसेरे की सुविधा न होने के कारण रात के समय राहगीरों की बस या ट्रेन निकल जाने की स्थिति में उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तथा मजबूरी में राहगीरों को रेलवे स्टेशन के फर्श पर कडकड़ाती ठंड के बीच रात गुजारने को मजबूर होना पड़ता है।
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बेसहारा लोगों का कोई सर्दी में कोई सहारा नहीं Forced to Spend Cold Nights
दूसरी ओर कस्बा व आसपास के सैंकड़ो लोग ऐसे हैं जो बिना छत के ही खुले आसमान के नीचे सोते हैं। सर्दी के मौसम में इन बेसहारा लोगों अभी तक कोई सहारा नहीं मिल पाया है। दिन में तो ये लोग धूप का सहारा ले लेते हैं, लेकिन रात के समय इनकों सोने की चिंता सताती रहती है।
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2 गज की चादर में काटते हैं रात Forced to Spend Cold Nights
रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड की दुकानों के बरामदों में अक्सर ये बेसहारा लोग दो गज की चादर तानकर अपनी रात काटते हैं। ध्यान रहे कि सतनाली कस्बा आसपास के करीब पांच दर्जन से भी अधिक गांवों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र होने के कारण यहां प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से लोगों व व्यापारियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन यदि उनकी बस या ट्रेन किसी कारण से छूट जाती है तो उन्हें रैन बसेरे के अभाव में खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारने पर मजबूर होना पड़ता है।
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ठंड बन सकती है आफत Forced to Spend Cold Nights
दिसंबर माह में सर्दी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। आमतौर पर 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ती है तथा ऐसे में सर्द रातों में बाहर रहना मुश्किल हो जाता है। इन परिस्थितियों में रैन बसेरों की जरूरत बढ़ जाती है। ठंड से मरने वालों की खबर हर साल आती है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को रैन बसेरा की बेहतर सुविधा मिले, ताकि वे सुरक्षित रह सकें।
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प्रशासन ने नहीं किया कोई अम्ल Forced to Spend Cold Nights
कस्बे में यूं तो रेलवे स्टेशन के पास रहने को धर्मशाला भी बनी हुई है लेकिन बेसहारा लोगों की तादाद ज्यादा होने के कारण सभी यहां पर सोने में असमर्थ हैं। कस्बे में ऐसे लोगों को व्यवस्था देने के लिए न तो प्रशासन द्वारा कोई सुविधा मुहैया करवाई गई है ना ही इस पर कोई अभी तक अमल किया जा रहा है।
कस्बावासियों एडवोकेट पवन शेखावत, सवाई सिंह राठौड़, एडवोकेट सुंदर गोठवाल, सुभाष कौशिक आदि का कहना है कि कस्बे में सरकार को रैन बसेरा बनाना चाहिए ताकि किसी राहगीर व आमजन को रात्रि के समय ठहराव के लिए स्थान मिल सके और उसे सड़कों के किनारे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर ठंड के बीच रात काटनी पड़े।
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