इशिका ठाकुर,इंद्री :
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से रामलीला ग्राउंड इन्द्री में आयोजित पांच दिवसीय श्रीकृष्ण कथामृत के तृतीय दिवस के अंतर्गत भव्य आयोजन दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी ने प्रभु कथा का रस पान करवाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अपने गवाल सखो के साथ खेलते हुए खेल ही खेल में उनका मार्ग दर्शन करते रहे।
सभी भक्तो को गौ सेवा का संदेश दिया
जैसे माखन चुरा कर मानो कह रहे हो कि संसार में माया का नही अपितु ईश्वर रूपी सार का चयन करो। साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एक ऐसे महान व्यक्तित्व के स्वामी हैं। जिन्होने अपनी शरण मे आने वाले भक्तो को भक्ति का सन्देश तो दिया साथ ही साथ अधर्म से लड़ने की प्ररेणा भी दी कि किस प्रकार से अपने देश की सम्पत्ति की रक्षा करनी है। गौ, ब्राह्मण, नारी और धर्म कि रक्षा तुम्हारा परमधर्म है स्वयं गौ चराने का कार्य करके सभी भक्तो को गौ सेवा का संदेश दिया। गौ जिसे हमारे शास्त्रें में मां का दर्जा दिया गया है। जैसे पृथ्वी माता हमें धारण करती है, जन्मदात्री माता हमें जीवन देती है, वैसे ही गौमाता भी अपने दूध के द्वारा हमारा जीवन भर पोषण करती है।
गौ के मूत्र मे 200 प्रकार की बीमारियों का शमन करने की शक्ति
इसलिए गौमाता को पूजनीय माना जाता है। गौपूजन के पीछे कोई रूढ़िवादिता या अंधविश्वास नहीं है। सांस्कृतिक कारण होने के साथ-साथ कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी इसके साथ जुडे हुए हैं। गौ के दूध मे नाईटरोजन तत्त्व, विटामिन और धातु तत्त्व होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी हैं। गौ के मूत्र मे 200 प्रकार की बीमारियों का शमन करने की शक्ति है और गोबर का लेप रेडियो विकिरण के प्रभाव को रोकता है किन्तु इतना लाभ देने वाली गौ मां के साथ मानव अमानवीय व्यवहार करने लगा है। जिस का प्रमाण है दुनिया भर में लाखों बूचड़खाने, जिनमें नित नई-नई मशीेनें पहुँच रही हैं। ऐसी आधुनिक मशीनें जो एक मिनट में लाखों जानवरों को मौत के घाट उतार देती है फिर इन पशुओ के माँस, चमड़े, तेल, हड्डियों, आंतों, बालों, दाँतों, गुरदे की झिल्ली आदि से दवाईयाँ, सौन्दर्य प्रसाधन, सजावट की वस्तुएँ, बैग, कोट, जूते, बैल्ट और न जाने क्या क्या बना कर बेचा जाता है। आज इन्सान पशुओ को मारकर अरबपति बनना चाहता है।
लेकिन उसका यह लालच उसे ले डूबेगा कुदरत का दोषी बना देगा, जिसका वह उसे भयंकर दण्ड देगी। इसलिए आज गौ मां पर हो रहे इन अत्याचारो को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होने की आवश्कता है। क्योकि एक होकर ही हम अपनी संस्कृति के मान बिदूओ की रक्षा कर पाएगे। और एक तभी हो सकते है जब श्रीकृष्ण जी को जान लेगे क्योकि श्रीकृष्ण जी के आदर्श पर चलने के लिए उन्हे जानना आवश्क है जो एक सद्गुरू की कृपा से ही सम्भव है इसलिए हम सब को भी अपने जीवन में एक ऐसे पूर्णगुरू की आवश्कता है। जो श्रीकृष्ण जी का दर्शन हमारे घट मे करवा दे। कथा के अंत में प्रभु की पावन आरती का गायन किया गया कथा का रस पान कर श्रद्धालुगण भाव विभोर हो उठ।
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