Business News Update : अमेरिका की नई टैरिफ नीति पर फिच ने जताई चिंता

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Business News Update : अमेरिका की नई टैरिफ नीति पर फिच ने जताई चिंता
Business News Update : अमेरिका की नई टैरिफ नीति पर फिच ने जताई चिंता

कहा, अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियां बड़ा जोखिम बनकर सामने आई

Business News Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिकी राष्टÑपति द्वारा पिछले माह जारी की गई नई टैरिफ नीति पर फिच ने भी चिंता जताई है। उसने कहा है कि इस नीति के दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं और एक नई आर्थिक मंदी में विश्व की कई अर्थव्यवस्था जा सकती हैं। फिच रेटिंग्स ने ग्लोबल इकनॉमिक आउटलुक (जीईओ) के मार्च संस्करण में कहा, अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियां एक बड़ा जोखिम बनकर सामने आई हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था इसके असर से बची रहेगी

इससे भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2025-26 की तुलना में 2026-27 में थोड़ी नीचे आ सकती है। हालांकि, बाहरी मांग पर कम निर्भरता और पर्याप्त आत्मनिर्भरता के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापार युद्ध के व्यापक असर से बची रहेगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, पूंजीगत खर्च सहित निजी और सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण भारतीय जीडीपी की वृद्धि दर में सुधार हुआ है। यह चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के 5.4 फीसदी से बढ़कर चौथी तिमाही में 6.2 फीसदी पर पहुंच गई है। इस वृद्धि में कृषि क्षेत्र का भी योगदान है। औसत से अधिक मानसूनी बारिश के कारण खरीफ फसल का उत्पादन बढ़ा है।

भारत को होगा 61 हजार करोड़ रुपए का सालाना नुकसान

अमेरिका भारत के साथ भी पारस्परिक टैरिफ नीति लागू करने की घोषणा कर चुका है। नई टैरिफ नीति 2 अप्रैल 2025 से लागू होगी। यदि ऐसा होता है तो भारत को हर सल 61 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक शुल्क की धमकी से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंकाओं बीच भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के तहत चुनौती का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है।

14.05 अरब डॉलर रह गया व्यापार घाटा

अमेरिकी द्वारा जारी किए गए नए टैरिफ नियमों के बीच भारत ने निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस दौरान देश का व्यापार घाटा फरवरी, 2025 में कम होकर 14.05 अरब डॉलर रह गया। यह अगस्त, 2021 के बाद इसका साढ़े तीन साल का निचला स्तर है। खास बात है कि व्यापार घाटा अर्थशास्त्रियों के 21.65 अरब डॉलर के पूवानुर्मान से काफी कम है। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 41.41 अरब डॉलर रहा था। इस अवधि में आयात भी घटकर करीब दो साल के निचले स्तर 50.96 अरब डॉलर पर आ गया। यह अप्रैल, 2023 के बाद सबसे कम आयात है। फरवरी, 2024 में कुल 60.92 अरब डॉलर का आयात किया गया था।

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