Maharashtra में जीबी सिंड्रोम से पहली मौत, सोलापुर में व्यक्ति ने तोड़ा दम

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Maharashtra में जीबी सिंड्रोम से पहली मौत, सोलापुर के व्यक्ति ने तोड़ा दम
Maharashtra में जीबी सिंड्रोम से पहली मौत, सोलापुर के व्यक्ति ने तोड़ा दम

Guillain-Barre Syndrome, (आज समाज), मुंबई: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है। इसी के साथ सोलापुर जिला निवासी 40 वर्षीय एक व्यक्ति की जीबीएस के कारण मौत हुई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने भी सोमवार को इस बात की पुष्टि की है। पीड़ित पुणे के सिंहगढ़ इलाके में काम करता था और जीबी सिंड्रोम की चपेट में आने के बाद वह वापस सोलापुर चला गया था। 26 जनवरी को उसने दम तोड़ दिया था। राज्य में इस रोग से यह पहली मौत है।

पुणे में मामलों की संख्या 100 से अधिक, 41 आईसीयू में

पुणे में जीबी सिंड्रोम के मामलों की संख्या 100 से अधिक हो गई है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक दर्ज किए गए 101 मरीजों में से 56 मरीज सामान्य वार्ड में हैं, जबकि 41 आईसीयू में भर्ती हैं। इन 41 आईसीयू मरीजों में से 25 आक्सीजन सपोर्ट पर हैं और 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। चार मरीजों को छुट्टी दे दी गई है।

पुणे मेें 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया

पुणे में ज्यादातर मामले सिंहगढ़ रोड के किनारे से सामने आए हैं, जहां स्थानीय कुओं या खड़कवासला बांध से पानी की आपूर्ति होती है। अधिकारियों ने बताया कि घर-घर सर्वेक्षण के तहत 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें तीव्र दस्त और पेचिश (एडीडी) के 146 मामलों की पहचान की गई है। इनमें से अधिकांश निवासी मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पास उचित स्वच्छता की सुविधा है।

283 पानी के नमूनों से 282 पीने योग्य पाए गए

पीएमसी जल आपूर्ति विभाग ने परीक्षण के लिए 283 पानी के नमूने भेजे थे, जिनमें से 282 पीने योग्य पाए गए और 1 पीने के लिए अनुपयुक्त पाया गया। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने भी परीक्षण के लिए 21 पानी के नमूने भेजे, जिनमें से तीन पीने योग्य पाए गए और छह अनुपयुक्त पाए गए। अन्य 12 पानी के नमूनों की रिपोर्ट का इंतजार है। पानी के नमूनों के अलावा, 23 रक्त के नमूने और 73 मानव मल के नमूने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे को भेजे गए हैं।

जीबी सिंड्रोम के संभावित कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (सी. जेजुनी) बैक्टीरिया के संपर्क में आना जीबीएस के लिए सबसे आम ट्रिगर्स में से एक है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मामलों के प्रबंधन में राज्य की मदद के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, इस टीम का उद्देश्य उपलब्ध डेटा को व्यापक रूप से स्कैन करके केस की परिभाषा पर काम करना होगा। मामलों का सही निदान किया जा रहा है या नहीं, यह देखने के लिए कालक्रम, इतिहास, नैदानिक ​​लक्षण आदि पर गौर करने की आवश्यकता है।

संक्रामक रोग नहीं जीबीएस 

वरिष्ठ विशेषज्ञ ने  उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जीबीएस एक संक्रामक रोग नहीं है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, जीबीएस के लगभग 1000 मामलों में से एक सामान्य रूप से सी. जेजुनी से जुड़ा होता है। जीबीएस की गंभीरता बहुत हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है, और कई अध्ययनों के अनुसार सी. जेजुनी से जुड़े मामले आमतौर पर गंभीर होते हैं।

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