चंडीगढ़ (आज समाज)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा सेस प्रणाली को जारी रखने के लिए प्र•ाावशाली ढंग से वकालत करते हुए पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने 31 मार्च 2026 के बाद •ाी वास्तु और सेवा कर (जी एस टी)मुआवजा सेस प्रणाली को जारी रखने की पुरजोर सिफारिश की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि वि•िान्न करों को जीएसटी में शामिल करने के कारण राज्यों को हुए नुकसान की •ारपाई हो सके।
यह सिफारिश आज मुआवजा सेस पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक के दौरान की गई, जिसमें वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। वित्त मंत्री चीमा ने बल देकर कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम 2017 के तहत, जीएसटी काउंसिल को मुआवजा अवधि को पांच साल से आगे बढ़ाने की सिफारिश करने का अधिकार है।
उन्होंने अनाज पर खरीद कर को जीएसटी में शामिल करने के कारण पंजाब को हुए महत्वपूर्ण और स्थायी राजस्व नुकसान का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह कर जीएसटी लागू होने से पहले राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान करता था। आगे वित्त मंत्री चीमा ने बताया कि वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) प्रणाली के तहत वस्तुओं पर कर की दरें, जीएसटी के तहत लागू दरों की तुलना में काफी अधिक थीं। उन्होंने कहा कि इस बड़े अंतर के कारण राज्य को •ाारी राजस्व नुकसान हुआ।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इन वित्तीय चुनौतियों से निपटने और पंजाब जैसे राज्यों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी मुआवजा उपकर प्रणाली को जारी रखना जरूरी है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा की गई यह सिफारिश उन कई राज्यों की व्यापक चिंताओं को दर्शाती है, जिन्हें जीएसटी लागू होने के कारण पंजाब की तरह राजस्व हानि हुई है।
उनकी सिफारिश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्यों को वित्तीय झटकों के लिए उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि वे अपने नागरिकों के लिए आवश्यक सेवाओं और विकास पहलों को जारी रख सकें। जीएसटी मुआवजा उपकर प्रणाली के विस्तार के लिए वित्त मंत्री की जोरदार वकालत, मुख्यमंत्री •ागवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की राज्य के वित्तीय हितों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को •ाी दर्शाती है।