Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा वित्त आयोग के चेयरपर्सन अरविंद पनगढ़िया को सौंपे गए मैमोरंडम में 1980 के दशक से लेकर अब तक के पंजाब के वित्त के हालात के बारे में विस्तार से बताया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग के सामने दी पेशकारी को 14 भागों में बांटते हुए राज्य की आर्थिकता, फंडों और भविष्य के अनुमानों के बारे में विवरण साझा किए गए। इस मैमोरंडम में केवल राज्य की मांगें ही नहीं, बल्कि राज्य की आर्थिकता को सुधारने के लिए पंजाब सरकार की वचबद्धता को भी शामिल किया गया है।
पंजाब सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग को सौंपे गए मैमोरंडम की विलक्षण विशेषताओं के बारे में बताते वित्त मंत्री ने बताया कि बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से फंडों के वितरण से सम्बन्धित प्रस्ताव किये फामूर्ले के मुताबिक राज्य में अनुसूचित जातियों की आबादी के आधार पर 15वें वित्त कमीशन के लिए किए गए 0 प्रतिशत प्रस्ताव के मुकाबले 16वें वित्त कमीशन के लिए 5 प्रतिशत करने और कर पालना के लिए 15वें वित्त कमीशन की 2.5 प्रतिशत सिफारिश के मुकाबले 16वें वित्त कमीशन के लिए 5.00 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है।
वित्त मंत्री ने जीएसटी प्रणाली लागू होने के कारण पंजाब को हुए नुकसान बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि आबकारी और कराधान विभाग, पंजाब के अंदरूनी मुल्यांकनों के अनुसार यदि वैट प्रणाली जारी रहती तो राज्य ने मौजूदा वित्तीय साल में 25,750 करोड़ के बजट वाले जी. एस. टी के मुकाबले 45,000 करोड़ से अधिक की कमाई की होती। साल 2030-31 तक वेट 95,000 करोड़ और जी.एस.टी. 47,000 करोड़ होने के अनुमान के साथ यह अंतर और भी बढ़ने की उम्मीद है।
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