फिल्म इंडस्ट्री: करोड़ों का नुकसान, बालीवुड को सरकार से उम्मीद

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आज समाज डिजिटल, मुंबई:
वर्ष 2020 मार्च से अब तक का समय सिनेमाघरों के लिए निराशा लेकर आया है। लाकडाउन की वजह से थियेटर्स को नुकसान हो चुका है। अब जहां देश के लगभग सभी राज्यों में सिनेमाघर खुल चुके हैं। महाराष्ट्र सरकार ने अब तक सिनेमाघर बंद रखने का निर्णय कायम रखा है। कई फिल्में भी रिलीज हो रही हैं, जिस वजह से फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। निमार्ता, निर्देशक, कलाकार सभी लगातार सिनेमाघर खोले जाने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल, अब मल्टीप्लेक्स एसोशिएशन आफ इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार से राज्य में सिनेमाघरों को ‘तत्काल आधार’ पर फिर से खोलने का आग्रह किया है। एसोशिएशन ने बताया कि सिनेमाघर बंद होने की वजह से इंडस्ट्री को मार्च 2020 से 400 करोड़ रुपये की मासिक दर से लगभग 4,800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इतना ही नहीं, बल्कि लाखों लोगों की नौकरी भी छिन गई है।
खास बात है कि हिंदी फिल्मों के लिए महाराष्ट्र का बॉक्स आफिस में सबसे ज्यादा योगदान रहता है। ऐसे में बिना यहां फिल्म रिलीज किये, बड़ी फिल्मों को थियेटर्स में लाना निमार्ताओं के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
मार्च 2020 में जब देश में कोरोना का कहर शुरू हुआ तो फिल्म निर्माण और थियेटर व्यवसाय में ठहराव आ गया। इसके बाद अक्टूबर-नवंबर से देश के विभिन्न हिस्सों में फिर धीरे धीरे इसे ट्रैक पर लाया गया। लेकिन 2021 अप्रैल में कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते फिर से पूरे भारत में थियेटर बंद कर दिये गए। बता दें, महाराष्ट्र के अंदर मौजूद 1000 से ज्यादा सिनेमा स्क्रीन लाखों लोगों को रोजगार देती है और लगातार जारी लॉकडाउन की वजह से इंडस्ट्री की स्थिति काफी खराब हो गई है। एसोशिएश की तरफ की गई अपील में कहा गया कि अनलॉक गाइडलाइंस के अंतर्गत मॉल, एयरलाइंस, रेस्टोरेंट, जिम, लोकल ट्रेन तक को मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी तक सिनेमा को बंद रखा गया है। जबकि वहां भी सरकार की सभी रडढ को लागू किया जा सकता है।
एसोशिएन ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र छोड़कर हर राज्य में सिनेमाघर खुल चुके हैं।जबकि फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र से जुड़ा है। इससे इंडस्ट्री को गहरा प्रभाव पड़ रहा है। पीवीआर, आइनॉक्स और सिनेपोलिस जैसे प्रमुख मल्टीप्लेक्स चेन्स दोबारा काम शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कई शहरों में सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत आक्यूपेंसी के साथ खोल भी दिया गया है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला एग्सीबीटर्स को निराश करता है।