कहा, यह मुसलमानों से लिए सही नहीं, हम हर कुर्बानी के लिए तैयार

Delhi Breaking News (आज समाज), नई दिल्ली : वक्फ संशोधन बिल संसद व राष्टÑपति की स्वीकृति के बाद जहां कानून का रूप धारण कर चुका है वहीं इसका देश भर के कई हिस्सों में तीव्र विरोध हो चुका है। यहां तक कि पश्चिम बंगाल में तो यह विरोध काफी ज्यादा हिंसक साबित हो रहा है। वहीं केंद्र सरकार इसे मुसलमानों का हिमायती बता रही है। लेकिन बहुत सारे मुस्लिम संगठन इसे उनके समुदाय के विरुद्ध बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।

यह बोले उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मदनी

वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों की दिल्ली में बड़ी बैठक आयोजित की गई। वक्फ संशोधन अधिनियम पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम देश, समाज या मुसलमानों के लिए सही नहीं है। हमारी लड़ाई जारी रहेगी, खत्म नहीं होगी, चाहे हमें कितनी भी कुबार्नी देनी पड़े। महमूद मदनी ने कहा कि यह वक्फ का मामला नहीं बल्कि राजनीति है। मुसलमानों के नाम पर, कभी मुसलमानों को गाली देकर या मुसलमानों का हमदर्द बनकर दुर्भावना के साथ इस अधिनियम को लागू किया गया। यह अधिनियम या संशोधन देश, समाज या मुसलमानों के लिए सही नहीं है।

हम हर तरह के विरोध के लिए तैयार

मदनी ने कहा कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी, खत्म नहीं होगी, चाहे हमें कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े। हमने आजादी से पहले भी कुर्बानियां दी हैं। अगर हमें लड़ना पड़ा तो हम लड़ेंगे। अगर हमें सब्र करना है तो हम वो भी करेंगे। हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं। हम न्याय का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अपील करते हुए कहा कि इस कानून के खिलाफ हर जगह शांतिपूर्ण प्रदर्शन होने चाहिए।

इससे पहले मौलाना महमूद मदनी ने जारी बयान में कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें कानून की सांविधानिकता को चुनौती दी गई है। याचिका में जमीयत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस कानून में एक नहीं, बल्कि भारत के संविधान के कई अनुच्छेद विशेष रूप से अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 300-ए के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है, जो मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान के लिए गंभीर खतरा है।

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