Navratri Festival 2022 : मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा की होती है आराधना
आज समाज डिजिटल, अम्बाला :
Navratri Festival 2022 : 2 अप्रैल से 10 अप्रैल तक चलने वाले मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। ये अपने भक्तों के प्रति सौम्य और शांत स्वरूप के लिए जानी जाती हैं. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं। मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा होता है। इनकी साधना से जहां एक तरफ़ मन को असीम शांति प्राप्त होती है। ज्योतिषियों का मानना है कि मां चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है। तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।
Navratri Festival 2022 : शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा के इस रूप से माता देवगण, संतों और भक्त जन के मन को संतोष प्रदान करती हैं। मां चन्द्रघंटा अपने प्रिय (Navratri Festival 2022) वाहन सिंह पर बैठकर होकर अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र,धनुष, भरे हुए तरकश लिए मंद मंद मुस्कुरा रही होती हैं। धार्मिक ग्रंथों में इनसे जुड़ी पौराणिक कथा की बात करें तो प्राचीन समय में देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला।
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Navratri Festival 2022 : असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवताओं के स्वामी इंद्र थे। महिषासुर ने देवाताओं पर विजय प्राप्ता कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वओर्गलोक पर राज करने लगा। इसे देखकर सभी देवतागण परेशान हो गए और इस समस्या से निकलने का उपाय जानने के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए। देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, चंद्र, सूर्य, (Navratri Festival 2022) वायु और अन्यत देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और उन्हें बंधक बनाकर स्वर्गलोक का राजा बन गया है। देवाताओं ने बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण अब देवता पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं और स्वर्ग में उनके लिए कोई जगह नहीं है।
Navratri Festival 2022 : ये सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शंकर को बहुत गुस्सा आया। तीनों देवता के गुस्से की कोई सीमा नहीं थी। गुस्से की वजह से तीनों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई। और देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा से जाकर मिल गई। ये दसों दिशाओं में व्या्प्त. होने लगी। तभी वहां एक देवी का अवतरण हुआ। भगवान शंकर ने देवी को त्रिशूल और भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया। (Navratri Festival 2022) इसी प्रकार अन्य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अस्त्र शस्त्र सजा दिए। इंद्र ने भी अपना वज्र और ऐरावत हाथी से उतरकर एक घंटा दिया। सूर्य ने अपना तेज और तलवार दिया और सवारी के लिए शेर दिया। तभी उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।
Navratri Festival 2022 : अब देवी महिषासुर से युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार थीं। उनका विशालकाय रूप देखकर महिषासुर ये समझ गया कि अब उसका काल आ गया है। महिषासुर ने अपनी सेना को देवी पर हमला करने को कहा, अन्य दैत्य और दानवों के दल भी युद्ध में कूद पड़े। लेकिन देवी ने एक ही झटके में दानवों का संहार कर दिया। इस युद्ध में महिषासुर तो मारा ही गया, साथ में अन्य। (Navratri Festival 2022) बड़े दानवों और राक्षसों का भी संहार मां के हाथों कर दिया। इस तरह मां ने सभी देवताओं को असुरों से मुक्ति दिलाई।
देवी चंद्रघंटा की साधना करते हुए खास ध्यान रखना चाहिए Navratri Festival 2022
सबसे पहले नहा धोकर घी का दीपक जलाएं और फिर कलश में गंगा जल मिला लें, साथ ही कलश में दूर्वा, सुपारी, सिक्का केसर चावल बेलपत्र डालें। मां को पीले फूल चढ़ाएं। दूध, दही, शहद, गुड़ घी का पंचामृत चढ़ाएं। आरती के बाद लाल अनार, गुड़ या गुलाब जामुन का भोग लगाएं।
मां ‘चंद्रघंटा’ जी की आरती (Navratri Festival 2022)
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी।
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