Aaj Samaj (आज समाज), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित फेस्टिवल आफ आइडियाज कॉन्क्लेव के दूसरे दिन का कार्यक्रम आज शुरू हो गया है। इसी कड़ी में आज शेफ विक्की रत्नानी, सुवीर सरन और एस भट्टाचार्या के साथ इंडियन कुजीन को लेकर खास चर्चा हुई। कॉन्क्लेव के पहले दिन यानी 24 अगस्त को भी कॉन्क्लेव का आजोयन किया गया जिसमें देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा किया।
कभी किसी इंडियन किचन में प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली: विक्की
विक्की रत्नानी ने बताया कि उन्होंने कभी किसी इंडियन किचन में कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है। विक्की ने बताया कि कैसे अलग-अलग देशों में उन्होंने अलग-अलग प्रकार का भोजन बनाया है। कल यानी 26 अगस्त को हैदराबाद में उनका एक पॉप-अप है। उन्होंने बताया की जब वह अब्रॉड में कभी कुकिंग करते हैं तो इंडियन फूड वह अपने हिसाब से बनाते हैं। इंडियन फूड केवल नमक मिर्च की कहानी नहीं बल्कि बहुत से स्पाइस का एक परफेक्ट मिश्रण होता है। पहले क जमाने में इंडियन स्पाइस को हैंगओवर उतारने के लिए खाया जाता था। लेकिन अब इंडियन फूड देखने का लोगों का नजरिया बदल गया है। लोगों ने खाने पर बहुत सी किताबें भी लिखी हैं।
इंडियन फूड आज भी एथनिक फूड : सुवीर
सुवीर सरन से जब सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कैसे नॉन इंडियंस को इंडियन फूड प्रोमोट करना बहुत ही आसान काम लगता है। इंडियन फूड आज भी एथनिक फूड है। उन्होंने कहा, हमें अपने खाने को व पहनावे को एथनिक बुलाना बंद करना होगा, तभी हमारा इंडियन फूड ग्रो कर पाएगा। सुवीर ने बताया कि वह न्यूयार्क में करीब 30 साल रहे और हर 4-5 साल में न्यूयार्क में यह खबर छपती थी कि इंडियन फूड जो है वह अगला बेस्ट कुजीन होगा पर कभी बन नहीं पाया। उनके हिसाब से हम उस मुकाम को हासिल नहीं कर पाए, क्योंकि हमें आज भी घर की दाल से शर्म आती है। जब तक हम अपने भोजन पर गर्व नहीं करेंगे, हम बेस्ट नहीं बन पाएगें।
तो हमें अपनी दाल से क्यों आती है शर्म : भट्टाचार्य
एस. भट्टाचार्य जी का कहना था कि जब थाईलैंड अपनी करी के लिए मशहूर है तो हमें क्यों अपनी दाल से शर्म आती है। उन्होंने बताया कि कैसे हम हमारे इंडियन फूड को गलोबल फूड बना सकते हैं। उनका यह भी बताया कि कैसे जो खाना हम रोजाना में नहीं खाते वो ही ग्लोबल वर्ल्ड में मशहूर हो रहा है।
इंडिया में भी बहुत तरह की कुजीन होती हैं जैसे कि पंजाबी कुजीन, कश्मीरी कुजीन आदि को कैसे हम प्रमोट कर सकते हैं? इसके जवाब में सुवीर सरन ने कहा कि इसके लिए जब भी कोई शेफ आए तो उसे होटल के मशहूर खाने की जगह घरों में बना सदा खाना सिखाया जाए तो सही रहेगा।
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