Aaj Samaj (आज समाज), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित फेस्टिवल आफ आइडियाज कॉन्क्लेव के दूसरे दिन का कार्यक्रम आज शुरू हो गया है। इसी कड़ी में आज कथावाचक अश्विन संघी और कवि अभय कुमार कार्यक्रम में शमिल हुए। अप्रा कुचल ने इस सत्र का संचालन किया। सत्र में सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर में चर्चा हुई। पिछले कल यानी 24 अगस्त को भी कॉन्क्लेव का आजोयन किया गया जिसमें देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा किया।
रामायण पर बातचीत
अश्विन संघी ने कहा कि 1947 के बाद से हम देखने लगे जैसे भारत केवल एक जमीन का टुकड़ा है। अगर हम रामायण देखें तो 300 तरह के रामायण हैं। यह कहना आसान है कि ये 300 तरह के रामायण झूठ हैं। मैं कहना चाहता हूं कि ये सभी 300 रामायण हुए ही नहीं, मैं यह नहीं मान सकता।
लेखक अश्विन सांघी कहते हैं, 'संविधान की मूल प्रस्तावना में लेखकों ने 'धर्मनिरपेक्षता' को शामिल करना जरूरी नहीं समझा क्योंकि बहुलवाद हमेशा से प्रचलित रहा है।'#FestivalofIdeas #NewsX #IndiaNews #TheDailyGuardian #SundayGuardian #AishwaryaPanditSharma #IndiaNewsLive@ashwinsanghi… pic.twitter.com/BbNZdy2Lwl
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जी-20 के कार्यक्रम हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में
Festival of Ideas Live: फेस्टिवल ऑफ आइडियाज के दूसरे दिन कवि अभय कुमार (@theabhayk) कहते हैं, 'कोविड-19 के दौरान, भारत की वैक्सीन आपूर्ति वसुधैव कुटुंबकम का व्यावहारिक उदाहरण है।'#FestivalofIdeas #NewsX #IndiaNews #TheDailyGuardian #SundayGuardian #AishwaryaPanditSharma… pic.twitter.com/OoHg28tcij
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लेखक अभय कुमार ने कहा, इससे अच्छा (Festival Of Ideas) अपनी सांस्कृति दिखाने का क्या उदहारण हो सकता है जब भारत में जी-20 के कार्यक्रम हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में किए जा रहे हों। एक सांस्कृतिक भारत और एक युवा भारत है।
सनातन धर्म मानने का कोई एक तरीका
अश्विन संघी ने कहा, हम सभी भारत में सनातन धर्म से आते हैं। इसे मानने का कोई एक तरीका है। अगर आप इसे भक्ति में मानते हैं या आप इसे शक्ति में मानते है। अगर आप शिवलिंग को भगवान मानते हैं या आप उन्हें पत्थर मानते हैं तो दोनों स्थिति में आपका स्वागत है। संविधान की मूल प्रस्तावना में लेखकों ने ‘धर्मनिरपेक्षता’ को शामिल करना जरूरी नहीं समझा क्योंकि बहुलवाद हमेशा से प्रचलित रहा है।
जी-20 का ध्यय वाक्य है वसुधैव कुटुंबकम
कवि अभय कुमार ने कहा, जी-20 का ध्यय वाक्य है वसुधैव कुटुंबकम। वसुधा मतलब होता है पृथ्वी। ऐसा विचार दुनिया में कहीं नहीं हो सकता है। जब हमारा संसद बन रहा था तो सेंट्रल हॉल में इसे लिखा गया। कोविड-19 के दौरान, भारत की वैक्सीन आपूर्ति वसुधैव कुटुंबकम का व्यावहारिक उदाहरण है।
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