नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :
Female Feticide In The Womb: नारी का अस्तित्व बचाने के लिए ग्रामीण आंच्रल के युवाओं को पोराणिक रूढियों को तोड़कर जन-जन को जागरूक करना होगा। बेटा-बेटी की सोच को बदलकर कन्या को उसके अधिकार के साथ समाज को समर्पित करना होगा। नगर के साथ-साथ ग्रामीण वर्ग के पुरूष एवं महिलाओं को गर्भ में कन्या भ्रूण की हत्या रोकने के लिए कड़े फैसले करने होगें।
जन्म पर कुआं पूजन की प्रथा (Female Feticide In The Womb)
उपमंडल के गांव बेरी में श्रीमति शांति देवी के घर जन्मी उनकी प्रपौत्री के कुआं पूजन अवसर पर परिवार को सम्मानित करते हुए ये बातें राज्य में कन्या जन्म पर कुआं पूजन की प्रथा प्रारंभ करने वाली जिला बल्याण कल्याण समिति की पूर्व चेयरपर्सन मंजू कौशिक ने कही। गांव बेरी में दस मार्च को मनीषा पत्नी उदय सिंह ने एक कन्या को जन्म दिया।
लड़का-लड़की में भेदभाव खत्म होना चाहिए (Female Feticide In The Womb)
कन्या के जन्म की खबर सुनते ही उसके दादा विक्रम सिंह, धर्मपाल, बाबूलाल, अशोक, दादी सुमन, रोशनी, पवित्रा, बीना देवी ने ऐलान कर दिया कि नवजात कन्या का जन्म लड़के के जन्म से भी बढ़कर उत्सव के रूप में मनाया जायेगा। इतना ही नहीं ननिहाल पक्ष से लड़के के जन्म की तरह छुछक देकर समाज को प्रेरित किया गया कि लड़का-लड़की में भेदभाव खत्म होना ही चाहिए। रविवार देर सायं को नवजात कन्या की माता का धूमधाम के साथ लड़के के जन्म की तरह कुआं पूजन करवाया गया।
इस अवसर पर मंजू कौशिक ने परिवार को सम्मान पत्र देकर किया सम्मानित (Female Feticide In The Womb)
इस अवसर पर मंजू कौशिक ने परिवार को अपनी प्रथा के अनुरूप सम्मान पत्र देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर ताऊ जितेंद्र कुमार, ताई शर्मिला, फूफा डॉ. बलजीत, बुआ कमला देवी, मोनी यादव, नाना सुबेदार राजेश कुमार, मामा लोकेश कुमार, मामी मोनिका, मयंक, राजश्री, अभय सिंह व विक्रम सिंह ने भी नवजात कन्या को आर्शीवाद देकर परिवार को इस नई पहल के लिए शुभकामना दी।
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