एक ओर जहां पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है, वहीं एक और बड़ी आफत परेशानी का सबब बनने आ रही है। दरअसल अरब सागर में चल रही उथल-पुथल के कारण दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 16 मई को इससे चक्रवाती तूफान ह्यतौकतेह्ण के जन्म की भविष्यवाणी की गई है, जिसका प्रभाव केरल, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र इत्यादि देश के कई हिस्सों में देखने को मिल सकता है।
इस चक्रवाती तूफान के कारण देश के कई इलाकों में भारी बारिश, आंधी, तूफान और तेज हवाएं चलने की आशंका है। भारतीय तट पर इस वर्ष यह पहला चक्रवाती तूफान होगा। मौसम विभाग द्वारा इस तूफान के मद्देनजर लक्षद्वीप समूह, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और गोवा के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की जा चुकी है। चक्रवात के कारण केरल में तो कई जगहों पर जलभराव हो गया है और कोच्चि में अचानक बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। तिरुवनंतपुरम में तो अरुविक्करा बांध के गेट भारी बाढ़ के कारण 13 मई की रात खोलने पड़े, जिससे करमना तथा किल्ली नदियों में बाढ़ आ गई। चक्रवाती तूफान की संभावनाओं के मद्देनजर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की कुल 53 टीमें निर्धारित की गई हैं, जिनमें से 24 टीमें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं और 29 टीमें स्टैंडबाय मोड पर हैं।
आईएमडी के अनुसार अरब सागर में बने दबाव के क्षेत्र के 17 मई को अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होने और एक दिन बाद इसके गुजरात तट को पार करने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवाती तूफान तौकते 17-18 मई को गुजरात में भारी तबाही मचा सकता है और संभवत: 20 मई को कच्छ क्षेत्र से गुजरते हुए दक्षिण पाकिस्तान का रूख कर सकता है। पश्चिमी तटीय राज्यों को सतर्क करते हुए मौसम विभाग के चक्रवात चेतावनी प्रभाग का कहना है कि 16 से 19 मई के बीच पूरी संभावना है कि 150-160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ यह एक अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होगा और हवाओं की रफ्तार बीच-बीच में 175 किलोमीटर प्रतिघंटा भी हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार लक्षद्वीप सागर में उत्पन्न यह चक्रवात केरल तथा कर्नाटक तट से दक्षिण पूर्व अरब सागर में बना रहेगा और तट के समानांतर पणजी तक जाएगा, फिर गुजरात तट की ओर बढ़ेगा और भावनगर तथा पोरबंदर के बीच का समुद्र तट इसका स्ट्राइक एरिया बनेगा
।माना जा रहा है कि तौकते चक्रवाती तूफान का ट्रैक पिछले दो दशकों में बने तूफान के ट्रैक से बिल्कुल अलग होगा। ऐसा ही ट्रैक 4 से 7 मई 2004 के बीच आए एक गंभीर चक्रवाती तूफान में देखा गया था, जो उत्तर केरल तथा कर्नाटक तट पर अरब सागर में विकसित हुआ था। हालांकि गुजरात में मई महीने में ऐसा चक्रवाती तूफान करीब 20 वर्षों बाद देखा जाएगा। स्काईमेट वेदर की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 20 साल पहले 215 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली हवाओं के साथ 22 मई 2001 को सोमालिया तट पर विकसित हुए अरब सागर के सबसे मजबूत और खतरनाक चक्रवाती तूफान एआरबी 01 का बड़ा असर गुजरात में 28 मई 2001 तक देखा गया था। अगर 21 वर्षों के दौरान भारतीय समुद्रों में आए चक्रवाती तूफानों की बात की जाए तो वर्ष 1999 से 2020 तक भारतीय समुद्र में प्री-मानसून और पोस्ट मानसून सीजन में कुल 60 चक्रवाती तूफान आए हैं, जिनमें से मई माह में 17, अक्तूबर में 23 और नवम्बर में कुल 20 चक्रवाती तूफान आए। 2005, 2011 और 2012 ऐसे वर्ष रहे, जब प्री-मानसून सीजन के दौरान कोई तूफान नहीं आया।
जहां तक तौकते तूफान के ट्रैक की बात है तो इसे अन्य तूफानों से अलग इसलिए माना जा रहा है क्योंकि प्राय: अरब सागर में बनने वाले अधिकांश चक्रवात पश्चिम की ओर सोमालिया, यमन व ओमान की ओर चले जाते हैं तथा मध्य अरब सागर पर बनने वाले बेहद कम तूफान ही गुजरात तट तक पहुंचते हैं। स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक मई में बनने वाले किसी भी तूफान का ट्रैक तौकते की तरह नहीं है और तौकते का गुजरात तक पहुंचने का अनुमान एक महत्वपूर्ण मौसमी घटना है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)
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