- जीएम बीज के इस्तेमाल पर रोक को लेकर केन्द्रीय कृषिमंत्री के बयान का भारतीय किसान संघ ने किया स्वागत
(Fatehabad News) फतेहाबाद। केन्द्रीय कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जीएम (जेनेटिक मॉडिफाइड) बीज के इस्तेमाल को लेकर अभी कोई निर्णय न लेने के फैसले का भारतीय किसान संघ ने स्वागत किया है। उन्होंने किसान हितों को लेकर कृषिमंत्री द्वारा दिए गए ब्यान का स्वागत करते हुए इसे किसान हित में लिया गया ऐतिहासिक फैसला बताया है।
जीएम बीज को लेकर किसानों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के मन में भी कई आशंकाए
बता दें कि जीएम बीज के इस्तेमाल का भारतीय किसान संघ ने पुरजोर विरोध किया था और इसको लेकर संघ द्वारा जिला प्रधान रोहताश पंघाल के नेतृत्व में राज्यसभा सांसद सुभाष बराला और सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के प्रतिनिधि अरविंद शर्मा को मांग पत्र भी सौंपा गया था।
इस पर केन्द्रीय कृषिमंत्री का कहना है कि जीएम बीज को लेकर किसानों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के मन में भी कई आशंकाए है। इससे हम कम्पनियों पर निर्भर हो जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि जीएम बीज के इस्तेमाल के कई दुष्परिणाम हैं। किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की आशंकाओं को देखते हुए केन्द्र सरकार ने जीएम सीड की तरफ न जाने का फैसला किया है, जब तक सारी आशंकाओं का समाधान नहीं हो जाता, तब तक इस दिशा में आगे नहीं कदम नहीं उठाया जाएगा।
आज यहां हुई भारतीय किसान संघ की बैठक में जिला प्रधान रोहताश पंघाल ने केन्द्र सरकार व केन्द्रीय कृषि मंत्री का आभार जताते हुए कहा कि देश में जीएम फसल के रूप में बीटी कपास को वर्ष 2002 में किसानों के बीच पिछले दरवाजे से लाया गया था। कपास में बैक्टीरिया से दो अलग जीन को डालकर बारी-बारी से अधिक जहरीला कपास बनाया गया और बताया गया था कि यह कपास में लगने वाले कीट को रोकेगा जबकि यह दावा झूठा साबित हुआ।
वैसे ही अब कई फसलों में जीव-जंतुओं के जीन को डालकर नए जीव की तैयारी का खेल चल रहा था। रोहताश पंघाल ने कहा कि जेनेटिकली मॉडिफाइड फसल में अगर जीव के जीन होंगे तो यह फसल कहा जाएगा या जीव। खाद्यान्न फसलों में यदि जीव जंतुओं का जीन डाला जाता है तो उसको शाकाहारी कहेंगे या मांसाहारी, यह भी तय नहीं। फिर भी बिना किसी चर्चा के, बिना किसी सलाह के, बिना किसी विज्ञान परीक्षण-निरीक्षण के बीटी बैंगन से लेकर जीएम सरसों तक फसलों को भारत में लाने की कोशिशें हो रही हैं।
जीएम फसल हर प्रकार से भारत की भौगोलिक संरचना, पर्यावरण, जलवायु और कृषि संस्कृति के लिए सर्वथा अनुचित और हानिकारक है। भारतीय किसान संघ ने केन्द्रीय कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन भेजकर इस पर तुरंत रोक की मांग की थी। ऐसे में केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा जीएम बीज का इस्तेमाल न करने सम्बंधी ब्यान किसान हितों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला है जिसका भारतीय किसान संघ स्वागत करता है।
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