(Fatehabad News) जाखल। क्षेत्र में एक किसान द्वारा थोड़ा समय पहले खेत में बुआई की गई गेहूं की फसल दगा देती नजर आईं है। फसल में सुंडी और कीड़ों का प्रकोप देखा जा रहा है। पीड़ित किसान द्वारा धान अवशेष प्रबंधन करने से उसकी गेहूं फसल का नुकसान होना बताया गया है। एक तरफ यहां शासन, प्रशासन द्वारा खेतों में पराली (धान अवशेष) को फायदे का सौदा बताते हुए किसानों को पराली प्रबंधन करने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी और पीड़ित किसान का तर्क है कि खेतों में पराली को मिट्टी में मिलाने से उसकी लाखों रुपए क्षति हुई है। पीड़ित किसान की मानें तो पराली में सुंडी व कीड़ों के प्रकोप से उसकी फसल बर्बाद हुई है। नतीजन इससे किसान को अब अपनी फसल पर हल चला कर नष्ट करना पड़ा है।
गांव सिधानी निवासी किसान ने बताया कि उसने इस बार अपने खेतों में धान की कटाई करने के बाद उसके अवशेषों को मिट्टी में मिला कर पराली प्रबंधन किया था। इसके बाद उसने करीब एक माह पहले हाड़-तोड़ मेहनत और लाखों रुपए खर्चा कर अपनी 8 एकड़ भूमि में गेहूं बिजाई की थी, लेकिन पराली में कीड़े व सुंडी के चलते उसे रोपाई गई अपनी पूरी फसल पर ट्रैक्टर चला कर नष्ट करना पड़ा है। जिससे उसकी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। बर्बाद हुईं फसल को हल चला कर नष्ट करने के सिवाए उसके पास कोई विकल्प नहीं था।
गांव सिधानी के गेहूं उत्पादक किसान मेजर सिंह ने बताया कि उसने धान की पराली को मिट्टी में ही मिलाकर एक माह पूर्व खेतों में गेहूं की बिजाई की थी। जिसके बाद फसल पर कीटनाशक आदि का छिड़काव भी किया था, परंतु खेत की मिट्टी में मिलाई गई पराली में अब कीड़े व सुंडी दिखाई देने लगी थी, जो फसल को लगभग चौपट कर रही थी। इसे लेकर उसने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चला कर उखाड़ दिया है। इसके बाद पीड़ित किसान अब पुन फसल बुआई करने की तैयारी कर रहा है। किसान मेजर सिंह ने बताया कि प्रति एकड़ जमीन में गेहूं बिजाई करने में उसका बीज व कीटनाशक तथा डीजल आदि से उसका अमूमन 20 हज़ार रुपए खर्च आया था, लेकिन फसल बर्बाद होने से उसे अब दोबारा से फसल की बिजाई करनी पड़ेगी। जिससे उसे दोहरी मेहनत करनी पड़ेगी। इससे उसका समय भी खराब होगा।
पीड़ित किसान मेजर सिंह का मानना है कि सरकार द्वारा जो बेलर मशीनों से खेतों में पराली प्रबंधन कर गांठें बनाई जाती है, वह संतोषजनक है, लेकिन जो पराली को मिट्टी में मिलाया जाता है, उससे किसानों को काफी परेशानी आती है। उनका कहना है कि खेतों में मिट्टी में पराली मिलाने से दूसरे किसानों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। उनकी मांग है कि सरकार इस समस्या का उच्चतम तरीके से समाधान करें और क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा बेलर मशीनों के द्वारा ही गांठे बनाई जाए। इसके लिए क्षेत्र में बेलर मशीनों की संख्या को बढ़ावा दिया जाए।
जहां पर भी किसानों की फसल खेतों में मिलाई गईं पराली में पैदा हुई कीड़े, सुंडी के कारण खराब हुई है, वहां पर सर्वे टीम को भेज कर सर्वे कराया जाएगा। जिसके बाद इसकी रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को भेजी जाएगी मुकेश मेहला, खंड कृषि अधिकारी टोहाना
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