(Fatehabad News) फतेहाबाद/टोहाना। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आज टोहाना में राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के घर के बाहर प्रदर्शन किया और उनके प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा। मोर्चा ने मांग की है कि सांसद किसानों की वास्तविक मांगों का समर्थन करें, जिसमें प्रस्तावित किसान विरोधी, राज्य सरकार विरोधी ‘कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति प्रारूप’ को निरस्त करना और एसकेएम के साथ किए लिखित वायदे को पूरा करने का आग्रह करना शामिल है।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा राज्यसभा सांसद सुभाष बराला को सौंपा ज्ञापन
संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक जगतार सिंह बताया कि 1 फरवरी को वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में किसानों और खेत मजदूरों की बुनियादी मांग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने कृषि विपणन पर एक नया राष्ट्रीय नीति ढांचा का प्रारूप एनपीएफएएम जारी किया है, जो 3 कृषि कानूनों की पुनर्वापसी है, जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए वापस लिया गया था कि किसानों का ऐतिहासिक 13 महीने का आंदोलन समाप्त हो। इस मसौदे का उद्देश्य सभी कृषि गतिविधियों को निजी निगमों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में लाना है।
यह एफपीओ के माध्यम से अनुबंध खेती शुरू करने का प्रस्ताव करता है और यह किसानों की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है। यह किसानों को और अधिक गरीब और कर्जदार बना देगा और उन्हें उनकी जमीन और आजादी दोनों से वंचित कर देगा। जगतार सिंह ने कहा कि कॉरपोरेट आधिपत्य को बढ़ावा देने से कभी समाधान नहीं होगा; बल्कि कृषि संकट और बढ़ेगा। उन्होंने सांसद से आग्रह किया कि वह अपनी पार्टी और सांसदों के साथ इस नीतिगत मामले पर चर्चा करें और केंद्र सरकार पर इस राष्ट्र विरोधी नीति को तुरंत वापस लेने के लिए दबाव डालें।
जगतार सिंह ने कह कि भारत के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर 3 कृषि कानूनों के खिलाफ 13 महीने से चल रहे किसान संघर्ष के अंत में केंद्र सरकार से लिखित आश्वासन मांगा था। सरकार ने 9 दिसंबर, 2021 को अपने पत्र में एमएसपी सी2+50 प्रतिशत, गारंटीकृत खरीद और बिजली का निजीकरण न करने सहित अन्य मांगें शामिल थीं लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार न केवल इन समस्याओं को हल करने में विफल रही है, बल्कि वर्तमान बजट ने एमएसपी की लंबे समय से लंबित मांग की उपेक्षा की गई है। किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज माफी की कोई व्यापक योजना नहीं है। दूसरी ओर एसकेएम के साथ हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए टैरिफ बढ़ोतरी, स्मार्ट मीटर आदि जैसे विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया है।
एसकेएम ट्यूबवेल को मुफ्त बिजली और सभी ग्रामीण उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त 300 यूनिट की मांग कर रहा है। सरकारों को सभी स्मार्ट मीटर हटा देने चाहिए। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में किए गए व्यय में 5042.06 करोड़ रुपये की कमी की गई है। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 3621.73 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी पर 26000 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। वर्तमान में मनरेगा के तहत दिए जाने वाले औसत कार्य दिवस मात्र 45 दिन हैं। मांग 200 कार्य दिवस की है, जिसमें 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी है और मनरेगा के लिए अनुमानित राशि 2,75000 करोड़ रुपये है। लेकिन 2025-26 में आवंटन मात्र 85428.39 करोड़ रुपये है।
उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री किसानों से किए गए लिखित वायदों को पूरा करें। इस अवसर पर किसान सभा जिला उपप्रधान जगतार सिंह, जम्हूरी किसान सभा राज्य संयोजक तजिंद्र सिंह थिंद, बीकेयू नैन के जिला प्रधान लाभ सिंह, बीकेयू एकता उग्राहां तहसील प्रधान गुरदयाल सिंह, किसान सभा तहसील प्रधान अमर सिंह तलवाड़ा, सुरजीत सिंह देहाती मजदूर सभा, सज्जन कुमार इंदाछोई, हमीद खां समैन, दलबीर पप्पू कुलां, शशी दहिया बोहड़ सिंह, मछिंद्र सिंह कन्हड़ी, जगदीश, मा. हरपाल सिंह, मा. रणजीत सिंह ढिल्लों, बलजीत सिंह, रेशम सिंह सहित अनेक किसान मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें: iPhone 13 की कीमत में कटौती, देखें ऑफर्स
यह भी पढ़ें: Yamunanagar News : श्री गुरु रविदास प्रकाशोत्सव उपलक्ष्य में प्रभातफेरी