प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर:
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने जिले के किसानों से अपील कि है कि वे पराली को आय का स्रोत बनाए ऐसा करके किसान पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय भूमिका निभा सकते हैं। कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को पराली न जलाकर उसका सदुपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव-जंतुओं पर संकट Farmers Should Make Organic Manure Instead Of Burning Stubble: Partha Gupta
डीसी ने कहा कि फसल कटाई के सीजन के दौरान प्रतिवर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जहां एक तरफ भूमि बंजर होती है वहीं वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव जंतुओं पर भी संकट मंडराने लगता है। फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है।
धूएं से अस्थमा व कैंसर (Farmers Should Make Organic Manure Instead Of Burning Stubble: Partha Gupta)
वहीं फसल अवशेष जलाने से पैदा हुए धूएं से अस्थमा व कैंसर जैसे रोगों को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं मिट्टी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि किसान राष्ट्रीय कृषि नीति की पालना करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक सजगता का परिचय देते हुए पराली को न जलाएं बल्कि पराली के अवशेषों का उपयोग प्रभावी तरीके से करें। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पराली को आग न लगाएं और दूसरों को भी इस बारे में जागरूक करें। सामूहिक संकल्प से ही हम जिला को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।
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