धीरज चाहार, झज्जर :
जब हमारी एक किसान से बात हुई जिसने अपना बाजरा प्राइवेट एजेंसियों को बेचा उसने बताया कि उसका बाजरा 1100 रुपए बिका है और उन्हें मजबूरी में बाजरा मंडी में बेचना पड़ रहा है। क्योंकि सरसों की बुवाई का समय आ गया है। एवं प्रवासी मजदूर भी अपने घरों की ओर वापस जाने लगे जिसके कारण मजबूरी में उन्हें प्राइवेट एजेंसियों को अपना बाजरा बेचना पड़ रहा। वही आढ़ती ने बताया कि लगातार किसान हमारे पास आ रहे थे हमे मिलर्स से बात की जिन्होंने 1200 से 1300 रुपये तक बाजरा खरीदने की बात कही जिससे किसान कल से अपना बाजरा मंडी में प्राइवेट एजेंसी में बेचने के लिए लाने लगे है।
आपको बता दें सरकार के द्वारा बाजरे के ऊपर 2250 रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। लेकिन सरकार के द्वारा सरकारी खरीद चालू न करने के चलते सरकार ने बाजरे को भावांतर भरपाई के अंतर्गत ला दिया। जिसमें सरकार ने तय किया की बाजरे का बाजार में मूल्य 1650 रुपए है। बाजार में किसान अगर बाजरा भेजता है तो उसे ?600 का नुकसान होता है। जिसे भावांतर भरपाई के द्वारा उसके खाते में गैर दिया जाएगा। लेकिन अभी तक मैं तो सरकारी खरीद चालू हुई और ना ही किसानों का बाजरा बाजार में 1650 बिक रहा ऐसे में किसानों के ऊपर दोहरी मार लग रही है।
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