-30 अगस्त को शिमला में करेंगे समस्या पर मंथन
-किसान सभा ने मामले में घेरी सरकार
-निजी कंपनियों को संरक्षण देने का लगाया आरोप
लोकिन्दर बेक्टा, शिमला:
हिमाचल में सेब के दाम गिरने से बागवान परेशान हो गए हैं। दामों में आई गिरावट के बाद बागवानों में सरकार के खिलाफ भी आक्रोश पनपने लगा है। निजी कंपनियों के सेब की खरीद का दाम सार्वजनिक करने के बाद सेब के दामों में और कमी आई है और इस कारण बागवान सरकार से इस समस्या के स्थाई समाधान की मांग कर रहे हैं। उधर, संयुक्त किसान मंच ने इस समस्या पर चर्चा करने के लिए 30 अगस्त को शिमला में सम्मेलन करने का ऐलान किया है। इसमें सभी किसान व बागवान संगठन शिरकत करेंगे। इनकी मांग है कि कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल के बागवानों से भी सेब की खरीद सरकारी एजेंसी के माध्यम से की जाए। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शनिवार को शिमला पहुंच रहे हैं। वे भी बागवानों की समस्या समेत किसानों के अन्य मामलों पर मीडिया से बात करेंगे। इस बीच, हिमाचल किसान सभा ने भी इस मामले पर सरकार पर हमला बोला है। किसान सभा के राज्य महासचिव डॉ. ओंकार शाद, राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर तथा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर प्रदेश सरकार पर हाल ही में सेब के दामों में हो रही लगातार गिरावट के चलते बागवानों की परेशानी को बढ़ाने का आरोप लगाया है। सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार बागवानों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है और कॉरपोरेट घरानों के साथ खड़ी होकर उनको खुली छूट दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में अदानी समूह द्वारा सेब के जो दाम तय किए हैं, जिसमें बीते साल 80-100 फीसदी रंग वाले सेब के दाम 85 रुपए प्रति किलो था, जबकि इस बार इसी सेब का रेट 72 रुपए प्रति किलो है। इसी तरह, दूसरे दर के सेब के रेट में भी भारी गिरावट की गई है। इतने कम रेट में किसानों को अपने बागीचे का खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा। डॉ. तंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार बड़े-बड़े घरानों के साथ खड़ी होकर बागवानों का शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने किसानों व बागवानों को मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया है, जिससे लागत बढ़ रही है। आज किसान बाजार से महंगी दवाई खरीदने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ किसानों व बागवानों को बाजार में सेब के दाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में उत्पादन लागत मे कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन किसानों व बागवानों को आज लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है, जिससे आज इनकी आजीविका का संकट और गहरा हो रहा है। डॉ. तंवर ने कहा कि प्रदेश इस आर्थिकी को बचाने में पूरी तरह विफल रही है।