नई दिल्ली। केंद्र सरकार और किसानों के बीच नए कृषि कानूनोंको लेकर खींचतान जारी है। किसान कानून के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वह दिल्ली बॉर्डर पर जमकर बैठे हैं। आज किसानों के आंदोलन का पांचवा दिन है। लेकिन अभी तक किसानों की कोई बातचीत शुरू नहीं हुई है हालांकि सरकार की ओर से कृषि मंत्री और गृहमंत्री ने भी किसानों को बातचीत का न्यौता दिया था। कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सभी राज्यों के किसान संगठनों के साथ बैठक नहीं कर सकते। हम केवल पंजाब के 30 संगठनों के साथ ही ऐसा कर सकते हैं। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा है कि हमने प्रधानमंत्री के सशर्त निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। किसानों की ओर से मीडिया से बातचीत कर रहे प्रतिनिधि ने कहा कि किसान निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी सेअपने संबोधन में किसानों को कहा कि सरकार किसानों को समर्पित है। किसानों से बातचीत करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि विपक्षी किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। छल का सहारा लेने वाले लोग सरकार केफैसले पर भ्रम फैला रहे हैं। वाराणसी के खजूरी गांव में छह लेन मार्ग चौड़ीकरण के लोकार्पण अवसर पर संबोधित करते हुए कहा पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था, तो उसका विरोध होता था लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उसको आधार बनाया जा रहा है।