नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से किसान राज्य की सीमाओं पर डटे हुए हैं। दिल्ली की सीमा पर पंजाब और हरियाणा से आए किसानों ने डेरा लगा रखा है। किसान सरकार से किसी शर्त के साथ बात करनेको तैयार नहीं हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार की ओर सेप्रदर्शनकारी किसानोंको मंगलवार को बातचीत के लिए बुलाया है। कृषि मंत्री ने कहा कि कोविड-1 और ठंड के कारण किसानों की असुविधा को देखते हुए उन्हें बातचीत के लिए जल्दी बुलाया। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा। किसानों के प्रदर्शन की वजह से सिंघु और टिकरी बॉर्डर बंद है, वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर ठोस बैरिकेडिंग की गई।
-किसानों के साथ सरकार की बातचीत समाप्त हुई। कृषि मंत्री ने बातचीत के बाद बाहर निकलकर बताया कि बातचीत काफी अच्छी रही और किसानों को अब अगले चरण यानी चौथे चरण की बातचीत के लिए तीन दिसंबर को बुलाया गया है। कृषि मंत्री एक बार फिर कहा कि हमारा आग्रह है कि किसान अपना आंदोलन वापस लेंऔर बातचीत जारी रखी जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि बैठक से एक दूसरे के बीच समझ बढ़ी है। हालांकि किसान नेताओंने कहा कि इस कानून को वापस लेना ही पड़ेगा।
-किसानों के साथ बातचीत में केंद्र सरकार अभी किसानों को एमएसपी और मंडियों के बारे में प्रेजेंटेशन देते हुए विस्तृत जानकारी दे रही है।
-शाहीन बाग कार्यकर्ता बिलकिस दादी भी किसानों के समर्थन में आ गई हैं। बिलकिस दादी का कहना है कि हम भी किसान की बेटियां हैं। आज हम किसानों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन करेंगे। हम अपनी आवाज उठाएंगे और सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।
दोपहर 3 बजे किसानों के साथ बैठक करेगी सरकार
सरकार ने किसानों के बैठक के लिए 3 बजे विज्ञान भवन में आमंत्रित किया है। इस बीच भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद दिल्ली में गाजीपुर-गाजियाबाद (दिल्ली-यूपी) सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
खट्टर सरकार से निर्दलीय विधायक ने लिया समर्थन वापस
निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने हरियाणा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा, “किसानों पर किए गए अत्याचारों के मद्देनजर मैं वर्तमान सरकार को दिया अपना समर्थन वापस लेता हूं।