किसानों का दिल्ली कूच: आज से 09 अगस्त तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे किसान

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farmers protest
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आज समाज डिजिटल

दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर महीनों से डटे किसान अपने प्रदर्शन को और धार देने वाले हैं। तय कार्यक्रम के तहत पूरे मानसून सत्र (22 जुलाई-9 अगस्त) में किसान जंतर-मंतर पर ‘किसान संसद’ करेंगे। संयुक्‍त किसान मोर्चा के नेतृत्‍व में किसानों का एक जत्‍था जंतर मंतर की ओर कूच कर चुका है। किसान संसद लगेगी जिसमें भारतीय किसान यून‍ियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। किसानों का यह प्रदर्शन 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चलेगा। किसान के इस प्रदर्शन को देखते हुए दिल्‍ली पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। दिल्ली के के बॉर्डर से लेकर जंतर-मंतर तक सुरक्षा बलों की करीब 100 अतिरिक्त कंपनियां तैनाती की गई हैं। डीडीएमए यानी दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने शर्तों के साथ किसानों को प्रदर्शन की इजाजत दी है। प्रदर्शन का समय हर रोज सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक निश्चित किया गया है। हालांकि इस प्रदर्शन में रोज 200 से ज्यादा किसान शामिल नहीं हो सकेंगे। साथ ही उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा। किसानों के आंदोलन के मद्देनजर जंतर-मंतर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। आपको बता दें कि मौजूदा समय में संसद का मानसून सत्र चल रहा है, जो 13 अगस्त तक चलेगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस की ओर से भी प्रदर्शन की इजाजत मिल चुकी है। बताया जा रहा है कि किसान सिंघु बॉर्डर से पुलिस एस्कॉर्ट में जंतर-मंतर तक ले जाए जाएंगे। इससे पहले किसान संगठनों की दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ मंगलवार को बैठक हुई थी। इसके बाद किसानों ने कहा था कि वे मानसून सत्र के दौरान जंतर-मंतर पर ही किसान संसद लगाएंगे। इस दौरान वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करेंगे। इस दौरान कोई भी प्रदर्शनकारी संसद में नहीं जाएगा। आपको बता दें कि किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसान संगठनों की केंद्र सरकार से 11 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका है। किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों की मांगों के मुताबिक कानूनों में बदलाव कर सकती है, लेकिन कानून वापस नहीं लिए जाएंगे।