इशिका ठाकुर, करनाल:
करनाल आढ़ती एसोसिएशन की हड़ताल खत्म होने के बाद और मौसम खुलने के साथ ही आज किसान अपनी धान की फसल मंडियों में ले जाना शुरू कर चुके हैं।
अनाज मंडी के बाहर बड़ी-बड़ी ट्राली ट्रैक्टरों की लाइने
करनाल आढ़ती एसोसिएशन की हड़ताल खत्म होने के बाद और मौसम खुलने के साथ ही आज किसान अपनी धान की फसल मंडियों में ले जाना शुरू कर चुके हैं करनाल की निसिंग अनाज मंडी के बाहर बड़ी-बड़ी ट्राली ट्रैक्टरों की लाइने लगनी शुरू हो गई है ऐसी ही स्थिति करनाल की तमाम मंडियों की है मंडी में धान लेकर आए किसानों का कहना था कि मौसम खुलने के बाद आज हम अपनी धान मंडी में लेकर आए हैं लग रहा है कि आज रेट ठीक मिलेगा धान की फसल में नुकसान भी बहुत ज्यादा हो चुका है, लेकिन जो मंडी में आकर देखा है यहां तो व्यवस्था जीरो ही दिखाई दी है सरवर की वजह से बड़ी-बड़ी लाइनें लग चुके हैं आगे जाकर मंडी में क्या होगा यह देखने वाली बात होगी लेकिन गेट पर तो कोई भी किसी तरह की व्यवस्था नहीं डेढ़ किलोमीटर तक जाम लग चुका है किसानों की माने तो पहले 25 सितंबर को धान की सरकारी खरीद शुरू हो जाती थी लेकिन 30 तारीख भी निकल गयी हो चुकी है और कहा था कि एक अक्तूबर से सरकार धान की खरीद शुरू करेगी।
किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी
जिससे किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर सरकार 25 सितंबर से खरीद शुरू करती तो किसानों की खेतों में पड़ी फसल जल्दी से मंडी में पहुंच जाती। किसान ने बताया कि पहले आढ़तियों ने मंडियों में हड़ताल कर दी और दूसरा मौसम की मार पड़ गई। जिस वजह से धान मंडियों में आ ही नहीं पाई और जो धान मंडियों में पड़ी थी वह बारीश के कारण खराब हो गई। किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। किसान ने बताया कि सरकार ने कहा है कि एक अक्तूबर से सरकारी खरीद शुरू करेंगे लेकिन देखने वाली बात होगी कि सरकार धान खरीद शुरू भी कर पाती है या नहीं। सरकार बोल तो देती है कि एक अक्तूबर से सरकारी खरीद शुरू करेंगे लेकिन बीच में आने वाली अड़चनों के कारण किसान अपनी धान लेकर मंडियों में ही पड़ा रहता है। सरकार ने जो रेट निर्धारित किया है उस रेट पर धान बिकेगी तो किसान भी खुश होगा। किसान ने बताया कि खेतों में शीत ब्लास्ट जैसी बीमारियां आई हुई है।
मंडी के नियम और पमाने किसानों को ज्यादा परेशान करते है
खेतों में जाकर देखा जाए तो फसले तेला बीमारी से अटी पड़ी है। इसके अलावा फसल में छोटेपन की भी समस्या आई है। जिसकी वजह से जमीदार का बहुत ही ज्यादा नुकसान हो रहा है। किसी तरह से फसल को काटकर मंडी तक लेकर आया जाता है तो यहां के नियम और पमाने किसानों को ओर भी ज्यादा परेशान कर देते है। मोश्चर की वजह से किसान की धान कम दाम पर बिकती है। कहने की बात यह है कि हर तरह से किसान मारा जाता है। किसान ने बताया कि …..अच्छी बात है कि सरकार एक अक्तूबर से खरीद शुरू कर रही है लेकिन सरकार से अपील है कि जल्दी से जल्दी किसान की फसल बिके और किसान को पेमेंट देकर निपटाए।
तीन एजेंसियां धान की खरीद करेंगी
ताकि किसानों को बार-बार धक्के ना खाने पड़े। मंडी के सचिव बलवान सिंह का कहना है कि हमने अपनी व्यवस्था पूरी कर ली है और कल से सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी आज मंडी में दोपहर बाद काफी धान आ रहा है इसी वजह से जाम जरूर लगा हुआ है कल हम दूसरा भी मंडी का गेट खोल देंगे जिससे किसानों को दिक्कत नही होगी वही पोर्टल पर भी किसानों को काफी मुश्किलें सामने आ रही हैं सर्वर स्लो चल रहा है, और सरकारी धान की खरीद एक अक्तूबर से शुरू हो रही है। तीन एजेंसियां धान की खरीद करेंगी। जिसमें डीएफएससी, हैफेड और एचडब्ल्युसी एजेंसी शामिल है। सरकार ने ग्रेड ए की धान के लिए 2060 रुपए का रेट रखा है और नॉर्मल के लिए 2040 रुपए रखा है। मार्किट कमेटी द्वारा मंडी में बिजली, पानी, शौचालय व किसानों के ठहरने की व्यवस्था कर दी गई है। किसानों से अपील है कि वे अपनी धान को सूखा कर लाए और साफ करके लाए, ताकि उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना ना करना पड़े।