धीरज चाहार, झज्जर :
सरसों की बिजाई का समय शुरू हो चुका है। जिसमें पहले खाद की बुवाई की जाती है। उसके बाद सरसों की बिजाई की जाती है। बिना खाद के सरसों की बिजाई संभव नहीं है। एक तरफ सरकार किसानों का बाजरा कर नहीं खरीद रही है। दूसरी तरफ किसानों को खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। जिससे किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ रही है। क्योंकि पकी पकाई फसल तो बिक नहीं रही है और आगे आने वाली फसल की तैयारी के लिए संसाधन सरकार के द्वारा उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं।
एक तरफ सरकार किसान हितेषी होने की गवाही भर रही है। दूसरी तरफ किसान को संसाधन जुटाने के लिए सड़कों पर 8 से 10 घंटे लाइनों में लगना पड़ता है। उसके बाद भी उन्हें बैरंग होकर खाली हाथ अपने घरों की ओर लौटना पड़ता है। खाद लेते वक्त कई बार तनाव की स्थिति भी बनी जिसको देखते हुए पुलिस को बुलाया गया लेकिन फिर भी बात नहीं बनी।
किसान लगातार धांधली और कालाबाजारी का सरकार के ऊपर आरोप लगाते रहे और वे लगातार कहते रहे कि भाजपा सरकार ने किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। किसानों ने साफ तौर पर कहा कि हमें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि सरसों की बिजाई 4 से 5 अक्टूबर से शुरू हो जाती थी लेकिन आज 11 अक्टूबर हो गई है। लेकिन खाद नहीं मिलने के कारण सरसों की बिजाई अब तक चालू नहीं हुई जो कि किसानों को नुकसान है।