PALWAL NEWS : बाजरा की ज्यादा पैदावार के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाए किसान

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PALWAL NEWS (AAJ SAMAAJ) :पलवल ,बाजरा प्रदेश की मोटे अनाज वाली खरीफ की पोषक तत्वों से भरपूर खाद्यान्न फसल है।बाजरे की सुखा सहने की क्षमता ज्वार से भी ज्यादा है। अतः किसान बजारा की खेती कम सिंचित व बारानी क्षेत्र में भी आसानी से कर सकते हैं। बजारा का न्यूतम समर्थन मूल्य 2625 रूपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। अत: पलवल जिले में बजारा की बिजाई 6000 हेक्टियर होने का अनुमान है।कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक युवा संगठन द्वारा किसान गोष्ठी में कम लागत व कम पानी में भी अत्यधिक पैदावार देने वाली बजारा फसल की खेती उन्नत तकनीक से करने बारे किसानों को जानकारी दे रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता सुरेन्द्रपाल व संचालन यशपाल सिंह ने किया।
डॉ. मलिक ने कहा कि बाजरे की अधिकतम पैदावार लेने के लिए उसकी सही समय पर बिजाई संतुलित खाद, पौध संरक्षण के साथ-साथ उन्नत किस्मों का चुनाव भी जरूरी ह। बजारा फसल 65 से 78 दिनों में पक जाने से आगामी रबी फसलों की बिजाई के लिए भी खेत समय से खाली हो जाते हैं।
बजारा की बिजाई का 1 से 15 जुलाई उचित समय है। लेकिन असंचित क्षेत्र में बिजाई मानसून की पहली वर्षा पर कर सकते हैं। पछेती बिजाई पूरा जुलाई व अगस्त के पहले सप्ताह तक भी की जा सकती है। बजारा का 1.5 से 2 किग्रा बीज प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है ताकि 70000 पौधे प्रतिएकड़ मिल सके।
उन्होंने आगे कि बाजरे की सिंचित क्षेत्र के लिए एच.एच. बी. 299 व 311 अच्छी उपज देने वाली 9 तत्व से भरपूर किस्म है। इसके अलावा एच.एच.बी. 197, 223 व एच.सी. 20 किस्म भी 15 से 20 कुंतल ऊपज प्रतिएकड़ देने की क्षमता रखती है। बारानी व अर्द्ध सिंचित क्षेत्र के लिए एच.एच.बी. 67 संशोधित, एच. एच.बी.226, 234 व 272 किस्मों का चुनाव करें।
बीज को बोने से पहले रोगों से बचाव के लिए 6 ग्राम मेटालक्सिन दवा से उपचार करना चाहिए। बीज को बायोमिक्स जीवाणु टीका से उपचार करना भी अत्यंत लाभकारी रहता है। बिजाई कतारों लाइन से लाइन का फैसला 45 सेंटीमीटर व बीज 2 सेंटीमीटर गहरा बोये।
बजारा में सिंचित दशा में 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया तथा 10 किलो जिंक बिजाई के समय तथा 35–35 किलो यूरिया तीन व 6 हफ्ते बाद प्रति एकड़ डालना चाहिए। बारानी दशा में 20 किलो डीएपी, 30 किलो यूरिया पूरा खाद बिजाई पर ही डाल दें। बिजाई के 20 दिन बाद वर्षा वाले दिन सघन पौधों की छटाई करके रिक्त स्थान पर रोपाई कर दें। बजारा में एक या दो सिंचाईयां पर्याप्त रहती है। निराई गुड़ाई करके या 400 ग्राम एल्ट्राजिन 50 प्रतिशत दवा ढाई सौ लीटर पानी में प्रति एकड़ छिड़काव से खरपतवार नियंत्रित करें।
इस अवसर पर उदयराम, दिगम्बर, जिले सिंह, रमेशचंद, दयाराम,यादराम, लेखराम, बब्लू, धर्मवीर, हरपाल आदि किसान मौजूद थे।