Punjab Farmers Protest : किसान नेता डल्लेवाल के अनशन को एक माह पूरा

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Punjab Farmers Protest : किसान नेता डल्लेवाल के अनशन को एक माह पूरा
Punjab Farmers Protest : किसान नेता डल्लेवाल के अनशन को एक माह पूरा

मंगलवार को डल्लेवाल ने फिर लिखा प्रधानमंत्री के नाम पत्र

कहा, एमएसपी पर कानूनी गांरटी दें या मेरी शहादत का इंतजार करें

Punjab Farmers Protest (आज समाज), चंडीगढ़ : किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आज 30वें दिन में प्रवेश कर गया है। यह भी कहा जा सकता है कि डल्लेवाल के अनशन को आज एक माह पूरा हो गया है। इस वृद्ध किसान नेता की हालत लगातार चिंताजनक होती जा रही है। उनकी सेहत की निगरानी कर रहे चिकित्सकों ने पहले ही यह कह दिया है कि उनके आॅर्गन किसी भी समय फेल हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट भी डल्लेवाल की सेहत पर चिंता जता चुका है। दूसरी तरफ डल्लेवाल किसी भी कीमत पर अनशन समाप्त करने के मूढ़ में नहीं दिखाई दे रहे। वे पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि या तो हक लेकर जाएंगे या फिर उनकी अर्थी ही आंदोलन स्थल से उठेगी। इसी के चलते डल्लेवाल ने बीते कल एक बार फिर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि संसद एवं किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए एमएसपी गारंटी कानून बनाएंगे या मेरी शहादत का इंतजार करेंगे।

ग्वालियर-पीलीभीत से समर्थन में पहुंचे किसान

मंगलवार को खनौरी किसान मोर्चे पर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति का जत्था, ग्वालियर-पीलीभीत से किसानों का जत्था डल्लेवाल को समर्थन देने के लिए पहुंचा। वहीं कई दिनों बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल अपनी ट्राली से बाहर आए लेकिन शारीरिक तौर पर काफी कमजोर होने के कारण उनको स्ट्रेचर पर स्टेज तक लाया गया।

मैंने जान लगाई दांव पर

डल्लेवाल ने किसानों को कहा कि वह ठीक हैं और रात की पहरेदारी इतनी मजबूत कर दो कि मोर्चे पर पुलिस हमला करने की हिमाकत न कर पाए। उन्होंने देश के किसानों से यह भी कहा कि पिछले आंदोलन को स्थगित करते समय कई राज्यों के किसानों की यह शिकायत थी कि आंदोलन को जल्दी स्थगित किया जा रहा है, अभी एमएसपी गारंटी कानून बनने तक आंदोलन जारी रहना चाहिए। उस समय कुछ अन्य संगठनों के दबाव में आंदोलन जल्दी स्थगित करना पड़ा लेकिन अब दोबारा से मजबूत मोर्चा लगा हुआ है और पूरे देश के किसानों को एमएसपी की गारंटी दिलवाने के लिए मैंने अपनी जान दांव पर लगा दी है। अब देश के किसानों की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में जुड़ें।

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