Faridabad News:स्ट्रोक के मरीजों के उच्च स्तरीय इलाज को लेकर किया सेमिनार का आयोजन

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स्ट्रोक के मरीजों के उच्च स्तरीय इलाज को लेकर किया सेमिनार का आयोजन
स्ट्रोक के मरीजों के उच्च स्तरीय इलाज को लेकर सेमिनार में अपने विचार रखते वक्ता।

(Faridabad News)फरीदाबाद। सेक्टर-16 ए स्थित मेट्रो अस्पताल में स्ट्रोक के मरीजों के उच्च स्तरीय इलाज को लेकर सेमिनार का आयोजन किया गया है। जिसमें अस्पताल की न्यूरोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. सुषमा शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रही। इस दौरान उन्होंने कहा कि बोटोक्स इन पोस्ट स्ट्रोक स्पेस्टिसिटी तकनीक से ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों जल्दी स्वस्थ होते है। इसके लिए एक न्यूरोलॉजिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट के बीच बेहतर तालमेल होना बहुत जरूरी होता है।

बोटोक्स तकनीक ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए कारगर साबित : डॉ. सुषमा शर्मा

डॉ. सुषमा ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में पिछले कुछ वर्षों में क्रांति आई है। इसके फलस्वरूप स्ट्रोक के अधिकांश मरीज इलाज के बाद अब अपना बेहतर जीवन जी रहे हैं।लेकिन, कुछ मरीज ऐसे होते है जिन्हें स्ट्रोक के बाद डिस्बिल्टी का सामना करना पड़ता है। जिसमें एक लक्षण है पोस्ट स्ट्रोक स्पेस्टिसिटी। इसमें मरीज को पैरालाइज के चलते शरीर में काफी अकडऩ आ जाती है। बाजू अपने आप मुड़ जाती है और पैर मुड़ नहीं पाते हैं। इसमें मरीज को कई बार काफी दर्द होता है। दिनचर्या के कार्य में दिक्कत आती है। इस तरह के मरीजों का इलाज बोटॉक्स इन पोस्ट स्ट्रोक स्पेस्टिसिटी तकनीक के माध्यम से इलाज किया जाता है। यदि इलाज के दौरान न्यूरोलॉजिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट में सही तालमेल हो तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। सेमिनार में डॉ. सुषमा ने बताया कि बोटोक्स इन पोस्ट स्पेस्टिसिटी में किन-किन मरीजों को बोटोक्स दिया जा सकता है। बोटोक्स करने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट की क्या भूमिका होती है। जिससे मरीज जल्द स्वस्थ हो सके। इस दौरान सेमिनार में मरीजों और फिजियोथेरेपिस्ट ने डॉक्टर से सवाल जवाब किए। जिनके उन्होंने बखूबी जवाब दिए।

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