इशिका ठाकुर,करनाल:
सीएम सिटी करनाल मे गिरता लिंगानुपात बना जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय, जिले के बड़े अधिकारी खुद जिम्मेदारी लेने की बजाए स्वास्थ्य विभाग के छोटे कर्मचारियों को टर्मिनेट करने की कर रहे हैं बात।
सीएम सिटी करनाल में लिंगानुपात लगातार गिरता जा रहा है। अगर करनाल जिले की बात करें पूरे प्रदेश में 22 जिलों में से नीचे से पांचवें पायदान पर करनाल जिले आता है। तो इसे जाहिर होता है कि जब सीएम सिटी करनाल में ही लिंगानुपात इतना गिरता जा रहा है तो हरियाणा के दूसरे जिलों का क्या हाल होगा । हालांकि हरियाणा सरकार व करनाल स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे करता है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। लेकिन यह दावे सिर्फ दावे ही रह जाते हैं जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
लड़कों की तुलना में 104 लड़कियां कम पैदा हुई
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सीएम सिटी करनाल मे लिंगानुपात के मामले में अन्य जिलों की तुलना में पिछड़ती नजर आ रही है। जनवरी से लेकर नवम्बर तक जिला का लिंगानुपात 896 है। यानी एक हजार लड़कों की तुलना में 104 लड़कियां कम पैदा हुई है। यदि पिछले वर्ष 2021 में इसी अवधि की बात करें तो उस दौरान जिले का लिंगानुपात 891 था। ऐसे में पिछले वर्ष की तुलना में लिंगानुपात में हल्का सा सुधार हुआ है लेकिन प्रदेश स्तर पर अभी भी जिला 17वें स्थान पर है। फिलहाल प्रदेश में फतेहाबाद 958 लिंगानुपात के साथ पहले स्थान पर है। अभी तक जिले में कुल 25 हजार 90 बच्चे पैदा हुए हैं। इनमें से 13 हजार 248 लड़के और 11 हजार 842 लड़कियां शामिल है। ऐसे में 1406 बेटियां कम पैदा हुई हैं।
जानिए कहां बिगड़े हालत, कहां हुआ सुधार
जिले में सबसे कम लिंगानुपात काछवा पी.एच.सी. का 586 है। जहां लड़कों की संख्या 70 और लड़कियों की संख्या 41 है। इसके साथ ही पी.एच.सी. खुखनी का भी लिंगानुपात 670 व पी.एच.सी. जलमाना में 783 लिंगानुपात है। इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। वहीं दूसरी ओर घरौंडा सी.एच.सी. में सबसे ज्यादा लड़कियां पैदा हुई है जहां का लिंगानुपात 1163 है। यानी इस क्षेत्र में 283 लड़कों की तुलना में 329 लड़कियां पैदा हुई है। इसी प्रकार पी.एच.सी. भादसों, सी.एच.सी. इंद्री, पी.एच.सी. घीड़ में भी लड़कों की तुलना में लड़कियां पैदा हुई है।
जिले में गिरते लिंगानुपात को लेकर कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। जिला में घटते लिंगानुपात को लेकर उपायुक्त अनीश यादव ने 2 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा किए गए कार्यों पर असंतोष प्रकट किया और कहा कि जिन गांवों में गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण शत-प्रतिशत नहीं है, ऐसी आशा वर्करों, एएनएम तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
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पीसीएनडीटी एक्ट के तहत गठित जिला टास्ट फोर्स कमेटी की साप्ताहिक बैठक में लिंगानुपात को लेकर समीक्षा भी की गई । उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी एएनएम, आशा वर्करों को निर्देश दें कि वे अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत पंजीकरण करवाना सुनिश्चित करें। इसके अलावा ऐसी गर्भवती महिलाओं पर कड़ी नजर रखें, जिनके पास पहले से लड़कियां हैं ताकि कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोका जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन गांवों में निरीक्षण के दौरान गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत नहीं मिला, ऐसी आशा वर्करों को टर्मिनेट किया जाए और उनकी जगह दूसरी आशा वर्कर को लगाया जाए। उन्होंने कहा कि आशा के साथ-साथ एएनएम के खिलाफ भी कार्यवाही अमल में लाई जाए।
गिरते लिंगानुपात को लेकर करनाल सिविल सर्जन डॉक्टर योगेश ने विशेषतौर से ऐसे अस्पताल जहां पर गर्भपात के ज्यादा मामले सामने आ रहे हों। ऐसे अस्पतालों के रिकॉर्ड की सही जांच की जाए तथा गर्भपात होने की वजह का पता लगाने के लिए संबंधित महिला से भी पूछताछ की जाने की बारे मे कहा है । उन्होंने कहा कि गर्भ में भ्रूण की जांच करवाने वाले तथा करने वाले दोनों दोषी हैं और दोनों के खिलाफ पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही करने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में संलिप्त किसी भी दोषी को बख्शा न जाए, उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी निर्देश दिए कि वे सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाईजरों को अलर्ट करें कि वे अपने-अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करवाने के साथ-साथ उनसे निरंतर सम्पर्क बनाए रखें। अगर गर्भपात की कोई घटना सामने आती है तो इसकी सूचना उपायुक्त कार्यालय व सिविल सर्जन को अवश्य दें ताकि उनकी जांच हो सके।
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