Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors : अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान के लिए मशहूर फल्गू मेला इस बार के बाद 2028 में भरेगा। ऐसे में अगले मेले के इंतजार के लिए श्रद्धालुओं को 13 साल का इंतजार करना पड़ेगा। अभी तक यह मेला तीन से चार साल में भरता रहा है।
फल्गू मेले का संयोग वर्ष 2028 में होगा
यह है मेले के पीछे की कवाहत Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors
गा पादोदकं विष्णो: फल्गुहृादि गदाधर:। स्वयं हि द्रवरूपेण तस्माद् गंगाधिकं विदु:।। अर्थात् गंगा भगवान विष्णु की पादोदक स्वरूप है किंतु फल्गु तो स्वयं आदि गदाधर स्वरूप है। उनका महात्म्य गंगा से अधिक माना गया है।
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इस तीर्थ के महात्म्य विस्तार में आगे लिखा है कि जो व्यक्ति एक लाख अश्वमेध यज्ञ करता है वह भी इतना फल प्राप्त नहीं करता जितना मनुष्य फल्गु तीर्थ में स्नान कर लेने से प्राप्त कर लेता है। फल्गु तीर्थ में स्नान करने के बाद मनुष्य को तर्पण एवं पिंड श्राद्ध कर्म अपने गृह्यसूक्त के अनुसार ही करना चाहिए।
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इस क्षेत्र में मान्यता है कि फल्गु तीर्थ में स्नान कर आदि गदावर देव दर्शन करने पर मनुष्य अपने उद्धार के साथ-साथ अपने पूर्व की दस पीढि़यों का उद्धार करता है। इस पावन तीर्थ पर फल्गु ऋषि के मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य अभी हाल ही में मंदिर के उपासक जयगोपाल शर्मा के प्रयास से संपूर्ण हुआ है।
इस प्रसिद्ध तीर्थ पर अनेक सुंदर मंदिर हैं। यहां सरोवर के घाट के पास अष्टकोण आधार पर निर्मित 17वीं शताब्दी की मुगल शैली में बना शिव मंदिर है जो लगभग 30 फुट ऊंचा है। घाट के पास ही एक प्राचीन वट वृक्ष है जिसे लोग श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं। यहीं पर राधा-कृष्ण का मंदिर भी है जो नागर शैली में बना हुआ है।
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