इशिका ठाकुर,करनाल:
पुलिस का तर्क खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे सहयोग, डीएफएससी बोले, सारे कागजात दे तो दिए।
डिपो में घोटाले की जांच
करनाल CM सिटी में फर्जी BPL राशन कार्ड बनाकर राशन घोटाला करने वाले मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए अभी संभव नहीं हो पाई है। सीनियर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई द्वारा रामनगर डिपो में घोटाले की जांच पुलिस अब अपने स्तर पर कर रही है। एक तरफ पुलिस अपना बचाव करते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा सहयोग न करने की बात कह रही है जबकि DFSC कुशल बुरा हर संभव सहयोग का दावा कर रहे हैं।
जब ग्राउंड स्तर पर जांच की तो दोनों विभागों के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर लकीर पीटने तक सीमित दिखाई दिए। बता दें कि इनेलो नेता कृष्ण कुटेल ने मीडिया के मंच पर सत्ता के दबाव में आरोपी डिपो होल्डर को बचाने का आरोप लगाने पर मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
आरोपी पर कार्रवाई न होने के सवाल पर SHO का जवाब
सेक्टर 32,33 थाना के SHO रामफल ने बताया कि बीती 23 जुलाई की रात को DFSF विभाग के AFO रविन्द्र की शिकायत के आधार पर सीनियर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई भारत भूषण, उनकी पत्नी व उनके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मामला दर्ज करने बाद विभाग के AFO रविन्द्र को जांच रिपोर्ट व कागजात के लिए पत्र लिखा था। आज ढ़ेड माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस दौरान भी पुलिस द्वारा कई बार AFO को फोन करके भी कागजात देने के लिए कहा गया है। लेकिन विभाग के अधिकारी जांच के लिए कागजात पुलिस के हवाले नहीं कर रहे है।
ये कहा DFSC कुशल बुरा ने
खाद्य आपूर्ति विभाग के DFSC कुशल बुरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि पुलिस द्वारा अब तक विभाग के पास कोई कागजात लेने के लिए कोई पत्र नहीं भेजा गया। विभाग के AFO ने जांच के बाद पुलिस को सभी दस्तावेजों के साथ शिकायत दी थी। अब आगामी कार्रवाई पुलिस की है। अगर पुलिस को विभाग से कोई कागजात चाहिए तो वह पूरा सहयोग करेगें।
रामनगर डिपो होल्डर पर 22 लाख रुपये गबन का आरोप
जानकारी के अनुसार बीती 23 जुलाई को सेक्टर 32,33 थाना में सीनियर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई भारत भूषण, उनकी पत्नी व उनके बेटे पर 44 फीर्ज BPL कार्ड बनकार करीब साढ़े 22 लाख रुपए का राशन हड़पने का मामला दर्ज हुआ था। लकिन अब यह मामला ठंडे बस्ते जाता दिखाई दे रहा है। करीब डेढ़ माह बीत जाने के बाद पुलिस को अबतक विभाग से दस्तावेज नहीं मिले है।
करनाल में इस मामले को लेकर कई तरह के सवालों में कोई कह रहा है इस
मामले की जांच विजिलेंस विभाग के किसी अधिकारी को दी जानी चाहिए। जिससे सच सामने आ सके। यह मामला इतना साधारण नहीं है, जितना ऊपर से नजर आ रहा है। यह न सिर्फ गरीब के निवाले पर डाका डालने की साजिश है, बल्कि सिस्टम के साथ गद्दारी भी है। क्योंकि गरीबों को दिए जाने वाले राशन पर सरकार की ओर से भारी अनुदान दिया जाता है। इसी अनुदान को हड़पने के लिए फर्जी राशन कार्ड बना कर उनके हिस्से का राशन खुर्दबुर्द किया गया।
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