Expressway vs Highway: देश में आज रफ्तार का नया दौर चल रहा है। रोजाना नए एक्सप्रेस-वे और हाईवे का निर्माण या उद्घाटन हो रहा है। हालांकि, कई लोग अब भी एक्सप्रेस-वे और हाईवे में अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं। दोनों की बनावट, स्पीड लिमिट, और टोल शुल्क अलग-अलग हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं इन दोनों के बीच का अंतर।

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एक्सप्रेस-वे: हाई क्वालिटी और हाई स्पीड के लिए डिजाइन

एक्सप्रेस-वे, मौजूदा समय में सबसे उच्च गुणवत्ता वाली सड़कें मानी जाती हैं। ये पूरी तरह से बंद (कंट्रोल्ड) रोड होती हैं, जो आबादी वाले इलाकों से बाहर बनाई जाती हैं। इनकी ऊंचाई सामान्य हाईवे से अधिक होती है। सड़क पर रेलिंग होती है और एंट्री-एग्जिट के लिए सीमित प्वाइंट्स बनाए जाते हैं। एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियां बिना किसी व्यवधान के सीधे चल सकती हैं, क्योंकि इसमें कोई तीखे मोड़ नहीं होते।

  1. स्पीड लिमिट:
    एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियों की अधिकतम स्पीड लिमिट 120 किमी/घंटा होती है। हालांकि, टू व्हीलर और थ्री व्हीलर को कई एक्सप्रेस-वे पर प्रतिबंधित किया गया है।
    • उदाहरण: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मोटर साइकिल चलाने पर भारी जुर्माना लगता है।
  2. विशेषताएं:
    • अधिकतर एक्सप्रेस-वे 6 से 8 लेन चौड़े होते हैं।
    • आपात स्थिति में इन्हें विमान रनवे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • वर्तमान में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (340 किमी) देश का सबसे लंबा ऑपरेशनल एक्सप्रेस-वे है।
  3. टोल शुल्क:
    एक्सप्रेस-वे पर टोल टैक्स हाईवे की तुलना में अधिक होता है।
    • औसतन दर: 2 से 3.5 रुपये प्रति किमी।
    • उदाहरण:
      • पुणे-मुंबई एक्सप्रेस-वे (95 किमी): टोल ₹320।
      • लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे (302 किमी): टोल ₹600।

हाईवे: सामान्य सड़कें, पर बेहतर कनेक्टिविटी

हाईवे आमतौर पर शहरों और कस्बों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं। ये आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरते हैं, और इनके किनारे गांव, कस्बे या ढाबे देखने को मिलते हैं। सड़क पर कई जगह क्रॉसिंग, कट, और ट्रैफिक सिग्नल होते हैं।

  1. स्पीड लिमिट:
    हाईवे पर स्पीड लिमिट 80 से 100 किमी/घंटा होती है।
  2. विशेषताएं:
    • हाईवे पर एक्सप्रेस-वे की तुलना में अधिक व्यवधान हो सकते हैं, जैसे ट्रैफिक जाम और लोकल वाहन।
    • हाईवे की चौड़ाई आमतौर पर 4 से 6 लेन होती है।
  3. टोल शुल्क:
    हाईवे पर टोल टैक्स एक्सप्रेस-वे की तुलना में कम होता है।
    • उदाहरण:
      • लखनऊ-गोरखपुर हाईवे (270 किमी): टोल ₹425।

प्रमुख एक्सप्रेस-वे और हाईवे प्रोजेक्ट्स

  • दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे: 1,300 किमी लंबा, भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे।
  • दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे: 633 किमी लंबा।
  • गंगा एक्सप्रेस-वे: देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से को जोड़ने वाला प्रमुख प्रोजेक्ट।

कौन सा है किफायती?

  • एक्सप्रेस-वे: तेज रफ्तार और आरामदायक ड्राइव के लिए बेहतर, लेकिन महंगा।
  • हाईवे: किफायती, लेकिन गति और सुविधा में थोड़ा कम।

यदि आप तेजी से सफर तय करना चाहते हैं और बजट आपके लिए कोई समस्या नहीं है, तो एक्सप्रेस-वे सबसे उपयुक्त विकल्प है। वहीं, अगर आप बजट को प्राथमिकता देते हैं, तो हाईवे बेहतर हैं।

देश में बढ़ती सड़क परियोजनाओं से यात्रा का अनुभव न केवल तेज, बल्कि अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनता जा रहा है। चाहे एक्सप्रेस-वे हो या हाईवे, दोनों ने भारत के परिवहन तंत्र को नया आयाम दिया है।