EPFO Interest Rate: ईपीएफ पर ब्याज दर तीन साल में सबसे ज्यादा 8.25 फीसदी तय

0
379
EPFO Interest Rate
ईपीएफ जमा पर ब्याज दर तीन साल में सबसे ज्यादा 8.25 फीसदी तय

Aaj Samaj (आज समाज), EPFO Interest Rate, नई दिल्ली:  कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने देशभर के लाखों कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। अब कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जमा राशि पर 8.25 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। ईपीएफओ के टॉप बॉडी, सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने शनिवार को अपनी 235वीं बैठक में साल 2023-24 के लिए ईपीएफ पर 8.25 प्रतिशत ब्याज दर प्रदान करने की सिफारिश की है जो तीन साल में सबसे ज्यादा है। श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह जानकारी दी है।

एक लाख रुपए पर 8,250 रुपए का ब्याज

नई दरें लागू हो जाने के बाद अगर आपके ईपीएफ अकाउंट में एक लाख रुपए जमा हैं, तो इस पर साल में आपको 8,250 रुपए का ब्याज मिलेगा। गौरतलब है कि सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ब्याज दरें प्रभावी हो जाती हैं। सीबीटी के फैसले के बाद 2023-24 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर को सहमति के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा। इस पर सरकार से मंजूरी मिलने के बाद, 2023-24 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर ईपीएफओ के 6 करोड़ से अधिक ग्राहकों के खातों में जमा की जाएगी।

2020-21 में 1977-78 के बाद सबसे कम था ब्याज

बता दें कि पिछले साल यानी 2023 में, ईपीएफओ ने वर्ष 2022-23 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर 8.10 प्रतिशत से मामूली बढ़ाकर 8.15 प्रतिशत तय की थी। वहीं मार्च-2022 में रिटायरमेंट बॉडी ईपीएफओ ने अपने 6 करोड़ से अधिक ग्राहकों के लिए 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज को घटाकर 4 दशक के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत कर दिया था, जो 2020-21 में 8.5 प्रतिशत था। यह 1977-78 के बाद से सबसे कम था, जब ईपीएफ ब्याज दर 8 प्रतिशत थी। बता दें कि 1952 में पीएफ पर ब्याज दर केवल 3 प्रतिशत थी। हालांकि, इसके बाद इसमें बढ़ोतरी होती गई। 1972 में यह 6 प्रतिशत और 1984 में यह पहली बार 10 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई।

कंपनी करती है 12 प्रतिशत कॉन्ट्रिब्यूट

ईपीएफओ एक्ट के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 प्रतिशत पीएफ अकाउंट में जाता है। कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 प्रतिशत कॉन्ट्रिब्यूट करती है। कंपनी के 12 प्रतिशत कॉन्ट्रीब्यूशन में से 3.67 प्रतिशत पीएफ अकाउंट में जाता है और बाकी 8.33 प्रतिशत पेंशन स्कीम में जाता है।

1989 से 1999 तक ग्राहकों के लिए था सबसे अच्छा समय

पीएफ धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था। इस दौरान पीएफ पर 12 प्रतिशत ब्याज मिलता था। इसके बाद ब्याज दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 1999 के बाद ब्याज दर कभी भी 10 प्रतिशत के करीब नहीं पहुंची। 2001 के बाद से यह 9.50 प्रतिशत के नीचे ही रही है। पिछले सात साल से यह 8.5 प्रतिशत या उससे कम रही है।

ब्याज दर पर वित्त वर्ष के आखिर में होता है फैसला

पीएफ में ब्याज दर के फैसले के लिए सबसे पहले फाइनेंस इन्वेस्टमेंट एंड आॅडिट कमेटी की बैठक होती है। यह इस फाइनेंशियल ईयर में जमा हुए पैसों के बारे में हिसाब देती है। इसके बाद सीबीटी की बैठक होती है। सीबीटी के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय सहमति के बाद ब्याज दर लागू करता है। ब्याज दर पर फैसला फाइनेंशियल ईयर के आखिर में होता है।

यह भी पढ़ें:

Connect With Us: Twitter Facebook