The Protocol
आज समाज डिजिटल, मुंबई :
The Protocol : कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह के दुश्मन से लड़ने के लिए राष्ट्रों को एकजुट, संगठित और मजबूत होने की जरूरत है। आज दुनिया में कई बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में भारत और उसके पड़ोसियों के लिए खुद को सुरक्षित और प्रासंगिक बनाए रखने की चुनौती है।
सीधे शब्दों में कहें तो महाशक्तियों के इस युग में पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों के लिए किसी भी युद्ध का सामना करना आसान नहीं है। सवाल यह है कि इन देशों को अपनी सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए ताकि कोई ‘दुश्मन’ उनके खिलाफ अपनी आंखें न खोल सके? नलिन सिंह की नई फिल्म ‘The Protocol’ बताती है इस मुश्किल सवाल का हल।
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‘एकीकृत भारत’ की अवधारणा
अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक नलिन सिंह ने ‘The Protocol’ के जरिए एक बेहद चुनौतीपूर्ण विषय को पर्दे पर उतारा है। 25 मिनट की यह लघु फिल्म गांधी और हिटलर की दो ध्रुवीय विचारधाराओं के बीच संघर्ष को बेहद गंभीरता और ईमानदारी के साथ पर्दे पर पेश करती है। साथ ही यह वर्तमान समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘एकीकृत भारत’ की अवधारणा को साकार करने का आह्वान करता है।
ओटीटी पर एक लघु फिल्म रिलीज तनलिन सिंह बताती है कि यह फिल्म दुनिया भर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करने का एक प्रयास है, जो एक अखंड भारत के सपने पर केंद्रित है।
‘एकजुट भारत’ का नेतृत्व करने की क्षमता
सभी समुदायों, जातियों और धर्मों के साथ-साथ संस्कृतियों की विविधता के बावजूद, भारत ने सफलतापूर्वक लोकतंत्र को अपनाया है और दुनिया को दिखाया है कि इसमें ‘एकजुट भारत’ का नेतृत्व करने की क्षमता है। तो अब अखंड भारत से एक इंच भी कम सोचना बेकार है।
‘The Protocol’ NRAI प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित है। वही प्रोडक्शन टीम की अन्य तीन लघु फिल्मों, रम विद कोला और कॉलिंग चड्ढा के साथ-साथ ‘द प्रोटोकॉल’ को ओटीटी प्लेटफॉर्म हंगामा डॉट कॉम और वी मूवीज पर 26 मार्च को रिलीज कर रहा है। नवीनतम समाचार वी ने मांग पर प्रीमियम वीडियो लॉन्च करने के लिए हंगामा के साथ साझेदारी की है।
अप्रैल के पहले हफ्ते में फिल्में एमएक्स प्लेयर पर भी दस्तक देंगी। नलिन सिंह ने इससे पहले माई वर्जिन डायरी, रेनबो, गांधी टू हिटलर और ए नाइट बिफोर द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी लोकप्रिय फिल्में बनाई हैं, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा और समीक्षकों द्वारा सराही गई। विशेष रूप से भारतीय दर्शकों के लिए डिज़ाइन किया गया, प्रोटोकॉल दो मुख्य पात्रों, महात्मा गांधी और हिटलर के इर्द-गिर्द घूमता है
फिल्म गांधी और हिटलर के बीच वैचारिक मतभेदों को दर्शाती है। निर्देशक नलिन सिंह ने दोनों किरदारों के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है। एक तरफ गांधी हैं, जो लोगों की सोच और अहिंसा को बदलने में विश्वास रखते हैं, दूसरी तरफ हिटलर हैं, जो जान लेने और हिंसा करने में विश्वास रखते हैं।
फिल्म के उद्देश्य और सामाजिक संदेश पर चर्चा करते हुए नलिन सिंह कहते हैं, ”आज श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देश कुछ समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक मजबूती का मुद्दा सबसे अहम है। ऐसे में जरूरी है कि ‘एकीकृत भारत’ की तर्ज पर एक ऐसा संगठन बनाया जाए, जिसमें शामिल देश भी अपनी अलग पहचान बनाए रखें।
भारत के राज्यों की तरह उनकी भी अपनी पहचान है, उन्होंने सरकारें चुनी हैं, लेकिन सभी केंद्र के नेतृत्व में काम करते हैं। इसी तरह अगर ये सभी देश ‘अविभाजित भारत’ में एक छत्र के नीचे आ जाएं तो ये एक बड़ी ताकत बन सकते हैं और फिर अगर कोई हम पर हमला करता है या कोरो महामारी जैसी चुनौती आती है, तो वे आसानी से एक साथ इसका सामना कर सकते हैं। उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अखंड भारत के इस सपने को बल और जबरदस्ती से नहीं, बल्कि सभी पड़ोसी देशों की समझ और भागीदारी से साकार किया जा सकता है।
The Protocol
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