आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Colored Nails : राजा कृष्णदेव राय पशु-पक्षियों से बहुत प्यार करते थे। एक दिन एक बहेलिया राजदरबार में आया। उसके पास पिंजरे में एक सुंदर व रंगीन विचित्र किस्म का पक्षी था। वह राजा से बोला, ‘महाराज, इस सुंदर व विचित्र पक्षी को मैंने कल जंगल से पकड़ा है। यह बहुत मीठा गाता है तथा तोते के समान बोल भी सकता है। यह मोर के समान रंग-बिरंगा ही नहीं है बल्कि उसके समान नाच कर भी दिखा सकता है। मैं यहां यह पक्षी आपको बेचने के लिए आया हूं।’ (Colored Nails)
राजा ने बहेलिए को 50 स्वर्ण मुद्राएं दीं Colored Nails
राजा ने पक्षी को देखा और बोले, ‘हां, देखने में यह पक्षी बहुत रंग-बिरंगा और विचित्र है। तुम्हें इसके लिए उपयुक्त मूल्य दिया जाएगा। राजा ने बहेलिए को 50 स्वर्ण मुद्राएं दीं और उस पक्षी को अपने महल के बगीचे में रखवाने का आदेश दिया। तभी तेनालीराम अपने स्थान से उठा और बोला, ‘महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी बरसात में मोर के समान नृत्य कर सकता है बल्कि मुझे तो लगता है कि यह पक्षी कई वर्षों से नहाया भी नहीं हैं।’
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पक्षियों को पकड़ना और बेचना ही मेरी आजीविका है Colored Nails
तेनालीराम की बात सुनकर बहेलिया डर गया और दुखी स्वर में राजा से बोला, ‘महाराज, मैं एक निर्धन बहेलिया हूं। पक्षियों को पकड़ना और बेचना ही मेरी आजीविका है। अतः मैं समझता हूं कि पक्षियों के बारे में मेरी जानकारी पर बिना किसी प्रमाण के आरोप लगाना अनुचित है। यदि मैं निर्धन हूं तो क्या तेनालीजी को मुझे झूठा कहने का अधिकार मिल गया है।’
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महाराज तेनालीराम से अप्रसन्न हुए Colored Nails
बहेलिए की यह बात सुन महाराज भी तेनालीराम से अप्रसन्न होते हुए बोले, ‘तेनालीराम, तुम्हें ऐसा कहना शोभा नहीं देता। क्या तुम अपनी बात सिद्ध कर सकते हो?’ ‘मैं अपनी बात सिद्ध करना चाहता हूं, महाराज।’ यह कहते हुए तेनालीराम ने एक गिलास पानी पक्षी के पिंजरे में गिरा दिया। पक्षी गीला हो गया और सभी दरबारी पक्षी को आश्चर्य से देखने लगे।
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Colored Nails : पक्षी पर गिरा पानी रंगीन हो गया और उसका रंग हल्का भूरा हो गया। राजा तेनालीराम को आश्चर्य से देखने लगे। तेनालीराम बोला, ‘महाराज यह कोई विचित्र पक्षी नहीं है बल्कि जंगली कबूतर है।’ ‘परंतु तेनालीराम तुम्हें कैसे पता लगा कि यह पक्षी रंगा गया है?’
Colored Nails : ‘महाराज, बहेलिए के रंगीन नाखूनों से। पक्षी पर लगे रंग तथा उसके नाखूनों का रंग एक समान है।’ अपनी पोल खुलते देख बहेलिया भागने का प्रयास करने लगा, परंतु सैनिकों ने उसे पकड़ लिया। राजा ने उसे धोखा देने के अपराध में जेल में डाल दिया और उसे दिया गया पुरस्कार अर्थात 50 स्वर्ण मुद्राएं तेनालीराम को दे दिया गया।
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