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Blessing of Mother Kali : तेनाली रामलिंगाचार्युल का जन्म 16 वीं सदी के प्रारंभ में थुमलुरु गाँव में एक तेलगी भट्ट ब्राह्मण परिवार में हुआ था। हालांकि एक लोकप्रिय धारणानुसार उनका जन्म तेनाली नामक गाँव में हुआ था। तेनाली राम का जन्म नाम ‘रामाकृष्णा शर्मा’ था। उनके पिता गरालपति रामैया गाँव के मंदिर में पुजारी थे। बाल्यकाल में ही पिता का साया तेनाली राम के सिर से उठ गया और माता लक्षम्मा द्वारा उनका पालन-पोषण किया गया। तेनाली राम ने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की, किंतु वे कुशाग्र बुद्धि थे। उनकी वाकपटुता का तो कोई जवाब ही नहीं था. नटखट तो इतने थे कि कोई भी उनकी शरारतों से बच नहीं पाता था।
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मंदिर में जाकर एक लाख बार मंत्र का जाप करो Blessing of Mother Kali
एक दिन तेनाली राम की भेंट गाँव के एक ज्ञानी संत से हुई। संत ने उन्हें एक मंत्र देते हुए कहा, “पुत्र! गाँव के काली मंदिर में जाकर इस मंत्र का एक लाख बार जाप करो, इससे काली माता प्रसन्न हो जायेंगी और तुम्हें दर्शन देकर वरदान प्रदान करेंगी। तेनाली राम उसी समय काली मंदिर गए और वहाँ संत द्वारा दिए मंत्र का जाप करने लगे। जैसे ही एक लाख जाप पूरे हुए, काली माता अपने 100 मुख के भयंकर स्वरुप में उनके समक्ष प्रकट हुई। काली माता का भयंकर स्वरुप देख कोई भी सामान्य बालक भयभीत हो जाता. किंतु तेनालीराम भयभीत होने के स्थान पर जोर-जोर से हँसने लगे. जब काली माता ने हँसने का कारण पूछा, तो वे बोले, “माता, मेरी तो मात्र एक ही नाक है. जब मुझे जुकाम हो जाता है, तो मैं तो परेशान हो जाता हूँ। आपके तो सौ मुख होने के कारण सौ नाक हैं और हाथ मात्र दो. मैं सोच रहा हूँ कि ऐसे में आप क्या करती होंगी?”
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तुम्हारी बातें हर किसी का मनोरंजन करेंगी Blessing of Mother Kali
तेनाली राम के हंसमुख स्वभाव और बाल सुलभ बातें सुनकर काली माता हँस पड़ी और बोली, “पुत्र, मैं तुम्हें वरदान देती हूँ कि भविष्य में तुम विकट कवि के रूप में प्रसिद्ध होगे. तुम्हारी बातें हर किसी का मनोरंजन करेंगी। “वो तो ठीक है माता. लेकिन इससे मुझे क्या प्राप्त होगा? आप मुझे कोई और वरदान दीजिये.” तेनालीराम बोले। तब काली माता हाथ में दो कटोरे लेकर तेनाली राम से बोली, “पुत्र! इन दो कटोरों में से एक में ज्ञान है और दूसरे में धन. मैं तुम्हें दोनों में से एक चुनने का अवसर प्रदान करती हूँ।
जीवन में ज्ञान और धन दोनों ही आवश्यक है Blessing of Mother Kali
काली माता की बात सुनकर तेनाली राम सोचने लगे कि जीवन में ज्ञान और धन दोनों ही आवश्यक है. यदि दोनों ही वरदान मिल जाये, तब कोई बात है। तेनाली राम को विचार मग्न देख काली माता बोली, “क्या बात है पुत्र! किस कटोरे का चुनाव करना है, ये समझ नहीं नहीं आ रहा?” “ऐसी बात नहीं है माता. चुनाव करने के पहले मैं बस एक बार दोनों कटोरे अपने हाथ में लेकर देखना चाहता हूँ.” तेनाली बोले।
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Blessing of Mother Kali : काली माता ने जैसे ही दोनों कटोरे तेनाली के हाथ में दिए, तेनाली ने झटपट दोनों कटोरे को मुँह से लगाया और गटक गये. इस तरह अपनी बातों में उलझाकर उन्होंने काली माता से दोनों वरदान प्राप्त कर लिए। “माता! क्षमा करना. जीवन में ज्ञान और धन दोनों ही आवश्यक है. इसलिये मैंने दोनों ले लिये.” जब तेनाली राम ने भोलेपन से ये बात कहीं, तो काली माता हँसने लगी।
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Blessing of Mother Kali : “पुत्र! मैं तुम्हें दोनों वरदान देती हूँ. जीवन में तुम कई सफलतायें प्राप्त करोगे. किंतु ध्यान रहे कि तुम्हारे मित्र तो होंगें ही, शत्रु भी कम न होंगे. इसलिए होशियार रहना.” इतना कहकर काली माता अंतर्ध्यान हो गई। आगे चलकर तेनाली राम विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय के प्रिय मंत्री बने. उन्हें लोगों का बहुत स्नेह प्राप्त हुआ और धन-संपदा की भी कमी न हुई. किंतु उनके जीवन में शत्रु भी बहुत रहे, जो उनके विरूद्ध षड़यंत्र रचते रहे. तेनाली राम भी अपनी चतुराई से सदा उन्हें मात देते रहे।
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