तेनालीराम : शिल्पी की अद्भुत मांग Amazing Demand For Craftsmen

शिल्पकार अपनी कला में माहिर होने के साथ-साथ स्वाभिमानी और बुद्धिमान व्यक्ति था। उसने सोचा कि अगर मैं महाराज से कुछ नहीं मांगता हूं तो वह अवश्य ही मुझसे नाराज हो जाएंगे और मैं अगर महाराज से कुछ मांगता हूं तो मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।

0
516
Amazing Demand For Craftsmen

आज समाज डिजिटल, अम्बाला।
Amazing Demand For Craftsmen : एक बार महाराज कृष्ण देवराय पड़ोसी राज्य पर जीत हासिल कर विजयनगर लौट रहे थे। महाराजा ने जीत को यादगार बनाने के लिए नगर उत्सव की घोषणा कर दी। नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया। महाराज के मन में इस जीत को युगों-युगों तक याद रखने के लिए नगर के बीचो-बीच विजय स्तंभ बनाने का ख्याल मन में आया।
Read Also : तेनालीराम : शिकारी झाड़ियां Hunter Bushes

Amazing Demand For Craftsmen

दिन रात मेहनत करके विजय स्तंभ बनाया

महाराज ने शिल्पकार को बुलवाया और विजय स्तंभ बनाने का आदेश दे दिया। महाराज के कहे अनुसार शिल्पकार सहयोगियों के साथ कई हफ्तों तक दिन रात मेहनत करके विजय स्तंभ बनाया। जब महाराज एवं अन्य दरबारियों ने विजय स्तंभ देखा तो उसकी कला के कायल हो गए। शिल्पकार की अद्भुत कारीगरी से प्रसन्न होकर महाराज ने उसे राज दरबार में बुलाया और मनचाहा इनाम मांगने को कहा।

Read Also :  तेनाली रामा: सबसे बड़ा जादूगर Greatest Magician

मुझसे कोई न कोई इनाम मांग लो Amazing Demand For Craftsmen

शिल्पकार ने कहा, महाराज! आपको मेरी कारीगरी पसंद आई, यही मेरे लिए इनाम है। मुझ पर कृपा बनाए रखना, इसके अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए।” शिल्पकार का उत्तर सुनकर महाराज को खुशी हुई किंतु उन्होंने हठ पकड़ ली कि तुम मुझसे कोई न कोई इनाम मांग लो।

Amazing Demand For Craftsmen : महाराज की बात सुनकर दरबारियों में से एक मंत्री ने कहा महाराज अपने मन से तुम्हें कुछ ना कुछ देना चाह रहे हैं तुम जल्दी से अपनी इच्छा महाराज के सामने प्रकट कर दो।
शिल्पकार अपनी कला में माहिर होने के साथ-साथ स्वाभिमानी और बुद्धिमान व्यक्ति था। उसने सोचा कि अगर मैं महाराज से कुछ नहीं मांगता हूं तो वह अवश्य ही मुझसे नाराज हो जाएंगे और मैं अगर महाराज से कुछ मांगता हूं तो मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।

Amazing Demand For Craftsmen

दुनिया की महंगी वस्तु कौनसी है Amazing Demand For Craftsmen

इस प्रकार शिल्पकार कुछ देर सोचने के पश्चात शिल्पकार ने अपने औजारों का थैला खाली किया और उसे महाराज की तरफ करते हुए कहा “महाराज आप मुझे इनाम स्वरूप इस झोले को दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु से भर दीजिए। शिल्पकार की बात सुनकर महाराज समेत सभी दरबारी चिंतित हो गए कि दुनिया में सबसे मूल्यवान वस्तु कौन सी है? महाराज कुछ देर सोचने के पश्चात बोले कि दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु तो हीरे जवाहरात ही होते है, मैं तुम्हारा थैला हीरे जवाहरात से भर सकता हूं। शिल्पकार महाराज की बात सुनकर इनकार में सिर हिलाते हुए बोला “हीरे जेवरात इस दुनिया की सबसे महंगी वस्तु नहीं है तो मैं वो कैसे ले सकता हूं। सभी दरबारी इस समस्या का हल खोज रहे थे कि दुनिया की सबसे महंगी वस्तु कौनसी है? पर कोई भी दरबारी इस समस्या का हल खोज नहीं पाया। उस दिन किसी कारण वंश तेनाली रामा राजदरबार में उपस्थित नहीं थे।

Read Also : अकबर बीरबल: बिना काटे लकड़ी का टुकड़ा छोटा कैसे होगा Wood Without Cutting

सैनिक ने महाराज की चिंता का कारण बताया

जब महाराज को कोई भी दरबारी इसका जवाब नहीं दे पाया तो महाराज ने तुरंत ही तेनाली रामा को दरबार में बुला लिया। जैसे ही तेनाली रामा को महाराज की चिंता के बारे मे पता चला तो वो तुरंत ही राजदरबार की ओर निकल पड़े। रास्ते में सैनिक ने महाराज की चिंता का कारण बताया। सभा भवन में जाते ही तेनालीराम ने महाराज को प्रणाम किया और सभा में पूछा “जिस किसी को भी दुनिया की सबसे महंगी वस्तु चाहिए वो मेरे सामने आ जाए।” ये सुनते ही शिल्पकार तेनाली रामा के सामने आ गया और अपना झोला तेनाली रामा को दे दिया। तेनाली ने उस झोले को तीन-चार बार हवा मे उपर नीचे किया और उसका मुंह बांध कर शिल्पकार को दे दिया।

Read Also : अकबर-बीरबल: जादुई गधे की कहानी Story Of Magic Donkey

हवा ही दुनिया की सबसे मंहगी वस्तु है Amazing Demand For Craftsmen

शिल्पकार उस झोले को और अपने ओजारों को लेकर राजमहल से चला गया। यह दृश्य देखकर सभी लोग अचंभित रह गए। महाराज ने बड़ी उसूकता से तेनाली रामा से पूछा की “तुमने उसे खाली झोला दिया तो भी उसे वह चुप चाप लेकर चला गया जबकि उसने हीरे जवारात से भरा हुआ झोला भी लेने से इनकार कर दिया था।” तेनाली रामा ने जवाब दिया “महाराज! किसने कहा की वो झोला खाली था? उसमे तो दुनिया की सबसे मंहगी वस्तु हवा थी। हवा ही दुनिया की सबसे मंहगी वस्तु है, जिसके बिना हम एक पल भी जीवित नही रह सकते। महाराज एक बार फिर तेनाली रामा के चातुर्य को देख कर प्रशन हुए और अपने गले से एक हीरे जवारत जड़ित हार निकल कर तेनाली रामा को भेंट स्वरूप दे दिया।

शिक्षा: धन से कभी भी स्वाभिमान को खरीदा नहीं जा सकता है।

Read Also : हिंदू नववर्ष के राजा होंगे शनि देव

Read Also : पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ 

 Connect With Us: Twitter Facebook

SHARE