अकबर-बीरबल की कहानी: अकबर का साला Akbar’s Brother-In-Law

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Akbar's Brother-In-Law

आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Akbar’s Brother-In-Law :
बीरबल की बुद्धि और समस्या को भाप लेने की कला से बादशाह उन्हें खूब पसंद करते थे। जबकि दूसरे लोग बीरबल से जलते थे। जलने वालों में से एक अकबर का साला भी था, वो बीरबल को मिला हुआ खास स्थान लेना चाहता था।
बादशाह जानते थे कि बीरबल जैसा कोई बुद्धिमान नहीं हो सकता है। वो अपने साले को भी ये बात समझाने की कोशिश करते थे, लेकिन उनका साला हमेशा कहता था कि वो भी काफी बुद्धिमान है। इन सब बातों से बादशाह के मन में आया, अब ये ऐसे नहीं मानेगा।

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Akbar’s Brother-In-Law : तभी अकबर ने अपने साले से कहा कि तुम दिमाग और सूझबूझ से इस कोयले की बोरी को सबसे ज्यादा लालची सेठ दमड़ी लाल को बेचकर आओ। अगर तुमने ऐसा कर दिया तो मैं तुम्हें बीरबल की जगह दे दूंगा।
यह सुनकर अकबर का साला हैरान हुआ, लेकिन उसे बीरबल की जगह चाहिए थी। इसी सोच के साथ वो कोयले की बोरी लेकर सेठ के पास पहुंच गया। सेठ ऐसे ही किसी की भी बातों में आने वाला नहीं था इसलिए उसने उसे खरीदने से मना कर दिया।

Akbar’s Brother-In-Law : अब उदास होकर अकबर का साला महल लौट आया। उसने कहा कि मैं इसे नहीं बेच पाया। बादशाह ने बीरबल को पास बुलाया और अपने साले के सामने बीरबल से कहा कि तुम्हें सेठ दमड़ी लाल को यह कोयले की बोरी बेचनी है।
बादशाह का आदेश मिलने पर बीरबल ने कहा कि आप एक बोरी बेचने के लिए कह रहे हैं। मैं उस सेठ को एक कोयले का टुकड़ा ही दस हजार में बेच सकता हूं। यह बात सुनकर अकबर का साला दंग रह गया।
अकबर ने कहा कि ठीक है तुम एक ही कोयले का टुकड़ा बेच आओ। बादशाह का आदेश मिलते ही एक कोयले का टुकड़ा उठाकर बीरबल वहां से चले गए। उन्होंने सबसे पहले एक मलमल के कपड़े का कुर्ता अपने लिए सिलवाया। फिर उसे पहनकर अपने गले में हीरे-मोती की मालाएं डाल लीं और महंगे दिखने वाले जूते भी पहन लिए। इतना सब करने के बाद बीरबल ने उस कोयले के टुकड़े को सुरमा यानी काजल की तरह बारीक पीसकर एक कांच की डिब्बी में डलवा लिया।

Akbar's Brother-In-Law
Akbar’s Brother-In-Law : इसी भेष में वो महल के मेहमानघर में आ गए। फिर बीरबल ने एक इश्तिहार दिया कि बगदाद में एक जाने-माने शेख पहुंचे हैं जो जादुई सुरमा बेचते हैं। सुरमे की खासियत में बीरबल ने लिखवाया कि इसे लगाने वाला अपने पूर्वजों को देख सकता है। यदि पूर्वजों ने कोई धन छुपाकर रखा है तो वो उसका पता भी बता देंगे।
इस इश्तिहार के सामने आते ही नगर में बीरबल के शेख रूप और चमत्कारी सुरमे की ही बात होने लगी। सेठ दमड़ी लाल तक भी यह बात पहुंच गई। उसके मन में हुआ जरूर मेरे पूर्वज ने धन गाड़ रखा होगा। मुझे तुरंत शेख से संपर्क करना चाहिए। इतना सोचकर दमड़ी लाल शेख बने बीरबल के पास पहुंचा।
बीरबल ने जानबूझकर उन्हें पहचाना नहीं। सेठ ने शेख से कहा कि मुझे सुरमे की डिब्बी चाहिए। शेख ने जवाब दिया, “बिल्कुल लीजिए, लेकिन एक डिब्बी की कीमत दस हजार रुपये है। सेठ काफी चालाक था। उसने शेख से कहा कि मैं पहले सुरमा आंखों पर लगाना चाहता हूं। उसके बाद पूर्वजों के दिखने पर ही मैं दस हजार रुपये दूंगा।

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शेख बने बीरबल ने कहा कि ठीक है, आपको ऐसा करने की इजाजत है। बस आपको सुरमे की जांच करने के लिए चौराहे पर चलना होगा चमत्कारी सुरमे का करिश्मा देखने के लिए वहां लोगों की भीड़ लग गई। तब बीरबल बने शेख जोर-जोर से कहने लगे कि इस चमत्कारी सुरमे को सेठ जी लगाएंगे। अगर ये सेठ अपने माता-पिता की ही औलाद हैं, तो इन्हें सुरमा लगाते ही तुरंत पूर्वज नजर आ जाएंगे। पूर्वज नहीं दिखे, तो मतलब यह होगा कि वो अपने माता-पिता की औलाद नहीं हैं। असली औलादों को ही यह सुरमा लगाने पर अपने पूर्वज नजर आते हैं।

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Akbar’s Brother-In-Law : यह सब कहने के बाद शेख ने सेठ के आंखों पर सुरमा लगा दिया और कहा कि आंखें बंद कर लो। सेठ ने आंखें बंद तो की लेकिन उन्हें कोई भी नहीं दिखा। अब सेठ के मन में हुआ कि मैंने कह दिया कि मुझे कोई नहीं दिखा, तो =अपमान हो जाएगा। इज्जत को बनाए रखने के लिए सेठ ने आंख खोली और कहा कि हां, मुझे अपने पूर्वज दिख गए। इसके बाद गुस्से में लाल सेठ ने बीरबल के हाथ में 10 हजार रुपये थमा दिए।

Akbar’s Brother-In-Law :  अब खुश होते हुए बीरबल महल चले गए। उन्होंने कहा कि लीजिए बादशाह एक कोयले के 10 हजार रुपये और सारा किस्सा सुना दिया। यह देखते ही बादशाह का साला मुंह बनाकर महल से चला गया। उसके बाद से उसने कभी भी बीरबल की जगह लेने की बात अकबर से नहीं की।

सीख : किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए या काबिलियत को साबित करने के लिए बुद्धि का उपयोग करना जरूरी है।

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