इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने साबित कर दिया है कि उसके पास इस समय वर्ल्ड क्लास अटैक है। हमने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ भी देखा और पाकिस्तान के खिलाफ भी आपको ये कमाल का अटैक मौजूदा सीरीज़ में देखने को मिलेगा। सच तो यह है कि इंग्लैंड की फास्ट बॉलिंग को जोफ्रा आर्चर के आने के बाद स्फूर्ति मिली है।
एक ही टीम में दो खिलाड़ी अगर एक हज़ार से ऊपर विकेट ले चुके हों, उससे उस टीम की ताक़त का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन में ज़बर्दस्त हुनर है। एंडरसन से मैं इसलिए ज़्यादा प्रभावित हूं क्योंकि वह उम्र बढ़ने के बावजूद ज़्यादा जोश में दिखने लगे हैं। वहीं ब्रॉड ने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ सीरीज़ में पांच सौ टेस्ट विकेट पूरे करके साबित कर दिया है कि वक्त के साथ-साथ वो और ज़्यादा निखर रहे हैं।
इस समय भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ऐसी टीमें हैं जिनकी गेंदबाज़ी में अच्छा खासा दमखम है। इन टीमों का कोई भी गेंदबाज़ अपने दम पर मैच जिताने का माद्दा रखता है। वनडे और टी-20 की गेंदबाज़ी से किसी गेंदबाज़ का आकलन किया जाना ठीक नहीं होगा क्योंकि किसी तरह से चालाकियों के साथ अपने गेंदबाज़ी में अलग-अलग मिश्रण करना है, वह काफी मायने रखता है जबकि टेस्ट क्रिकेट में सही मायने में आपकी काबिलियत का पता चलता है। साथ ही ये भी पता चलता है कि आप मानसिक तौर पर कितने मज़बूत हैं क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में एक ही दिन में कई-कई स्पेल करने पड़ते हैं। हो सकता है कि आपका एक स्पेल अच्छा जाए और अन्य स्पैल अच्छे न जाएं। हो सकता है कि आपको गेंदबाज़ी के लिए ऐसे समय में लाया जाए जब कोई पार्टनरशिप 150 रनों तक पहुंच गई हो। तब गेंदबाज़ी की स्ट्रैटजी एकदम अलग तरह की होती है। इंग्लैंड के पास एंडरसन, ब्रॉड और जोफ्रा आर्चर के अलावा क्रिस वोक्स, सैम करन और मार्क वुड जैसे गेंदबाज़ भी हैं, जिनका वह समय समय पर इस्तेमाल करती है। यानी इंग्लैंड के पास तेज़ गेंदबाज़ों की बेंच स्ट्रैंथ गज़ब की है। ब्रॉड तक को इंग्लैंड टीम एक टेस्ट में बाहर बिठा देती है। वो बात अलग है कि वो मैच इंग्लैंड हार गया लेकिन किसी खिलाड़ी को हटाने या रखने का नफा-नुकसान बाद में ही पता चलता है। इंग्लैंड की वेस्टइंडीज़ के खिलाफ बाकी दो टेस्टों में वापसी देखते ही बनती थी।
जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, इस समय उसके पास मोहम्मद अब्बास, शाहीन शाह आफरीदी, नसीम शाह और सोहेल खान जैसे तेज़ गेंदबाज़ हैं। इनमें शाहीन और नसीम युवा और एकदम नए खिलाड़ी हैं। ये सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। ओल्ड ट्रैफर्ड में टीम मैनेजमेंट ने शाहीन, नसीम और मोहम्मद अब्बास पर भरोसा जताया है। इस मैच में अपनी गेंदबाज़ी से इन्होंने प्रभावित किया है। दरअसल टैलंट शुरू में नज़र आ जाता है। ज़रूरत है उस टैलंट को अच्छे प्रदर्शन में तब्दील करने की। पाकिस्तान के क्रिकेट में तेज़ गेंदबाज़ी का शुरू से बहुत महत्व रहा है। जब मैंने सियालकोट टेस्ट में पाकिस्तान के पांच खिलाड़ियों को आउट किया था, तब भी उनके पास ज़बर्दस्त टैलंट था। अच्छी बात ये थी कि पाकिस्तान में जब भी कोई युवा तेज़ गेंदबाज़ आता था तो टीम के सीनियर तेज़ गेंदबाज़ से उसे काफी मदद मिलती थी। जब इमरान खान थे तो उन्होंने पहले वसीम अकरम को आगे बढ़ाने का काम किया और फिर वकार यूनिस को भी उन्होंने आगे बढ़ाया। इनके बाद आकिब जावेद को भी अकरम आदि से काफी फायदा हुआ लेकिन आज दिक्कत ये है कि पाकिस्तान क्रेकेट में कोई भी इमरान, अकरम, वकार या आकिब जावेद जैसा गेंदबाज़ नहीं है। अगर इस स्तर का गेंदबाज़ होता तो निश्चय ही शाहीन शाह आफरीदी और नसीम शाह को काफी फायदा पहुंचता। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान में तेज़ गेंदबाज़ी को लेकर काम काफी चैलेंजिंग हो गया है। फिर भी मुझे खुशी है कि वकार यूनिस को टीम में बॉलिंग कोच रखा गया है। निश्चय ही इस कमज़ोरी की भरपाई करने का उन पर ज़िम्मा है, जिसके भविष्य में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
विवेक राजदान
(लेखक भारतीय टेस्ट टीम के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ रह चुके हैं)