भाजपा ने शहरी वोटर्स पर फोकस करना किया शुरू
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर तीसरी बार प्रदेश की सत्ता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा जल्द निकाय चुनाव कराने के पक्ष में है। क्योंकि प्रदेश में माहौल भाजपा के पक्ष में है। निकाय चुनाव की तैयारियों को नेकर केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिल चुकी है। भाजपा विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही हरियाणा में निकाय चुनाव में उतरेंगी। जीतने वाले चेहरों पर ही दांव लगाया जाएगा। इसके लिए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा शुरू हो चुकी है। वहीं विधानसभा चुनाव में जिन पार्षदों ने कांग्रेस उम्मीदवार की मदद की उनके टिकट कटना तय माना जा रहा है। ऐसे उम्मीदवारों की सूची तैयार की जा रही है। पार्टी इन्हें बाहर का रास्ता दिखाएंगी। निगम चुनाव की सुगबुगाहट के बाद राज्य चुनाव आयोग भी अलर्ट हो गया है। इसे लेकर हरियाणा सरकार को लेटर लिखा है। लोकसभा चुनाव से पहले ही आयोग के द्वारा नगर निकाय चुनाव को लेकर वार्ड वाइज वोटर लिस्ट की तैयारी शुरू की जा चुकी है।
वहीं चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए सरकार सूबे में जल्द ही निकाय चुनाव करवाने का मन बना रही है। जल्द चुनाव करवाने की एक वजह यह भी है कि हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की कांग्रेस के मुकाबले अच्छी पकड़ है। लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर मिली हार के बाद भी भाजपा को शहरी सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का शहरी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा। सरकार ने शहरी वोटरों पर फोकस करना शुरू कर दिया है। सीएम नायब सैनी ने दिल्ली दौरे से आते ही सबसे पहले निकाय विभाग की मीटिंग बुलाई। इसके साथ ही सभी जिलों में समाधान शिविर शुरू करने के आदेश जारी कर दिए।
10 नगर निगम में होंगे चुनाव
विधानसभा चुनाव में अंबाला मेयर शक्ति रानी व सोनीपत मेयर निखिल मदान भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। अब इनके समेत 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित हो गए हैं। सिर्फ पंचकूला नगर निगम ही है, जहां अभी मेयर का कार्यकाल जनवरी 2026 तक बाकी है। इनके अलावा यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी कार्यकाल पूरा हो चुका है। मानेसर नगर निगम गठित होने के बाद वहां अभी तक चुनाव ही नहीं हुए हैं। 11 में से अब 10 नगर निगमों में चुनाव लंबित हो गए हैं। अभी वहां की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं। कई निगमों के चुनाव तो दो-दो साल से लंबित है।
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