Haryana News Chandigarh (आज समाज) चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पेंशन से जुड़े दो दशक से चल रहे विवाद का समाधान कर दिया है। पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि हरियाणा में अब 2014 से पहले रिटायर कर्मियों को 20 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कर्मियों की पेंशन को लेकर अहम फैसला सुना दिया है। पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ का यह भी कहना है कि अदालतों को वित्तीय पहलुओं से जुड़े मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। क्योंकि ऐसे मामले कार्यपालिका के विशेष अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इस मामले को लेकर पिछले दो दशकों में हाईकोर्ट को तीन तरह के पेंशनभोगी का सामना करना पड़ा है। पहले पेंशनभोगी वो थे जो 2006 से पहले रिटायर हुए थे। दूसरे 2006 से 2009 में रिटायर होने वाले और तीसरे 2014 से पहले रिटायर होने वाले। 2006 से पहले रिटायर होने वाले कर्मियों ने 28 साल की सेवा पर हाईकोर्ट से अधिकतम पेंशन की मांग की थी। लेकिन इस मांग को हाईकोर्ट ने अब खारिज कर दिया था। फिर 2006 से 17 अप्रैल 2009 के बीच रिटायर होने वाले कर्मियों ने यह तर्क दिया था कि उनको भी हरियाणा सरकार ने 28 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ नहीं दिया गया था। क्योंकि नोटिफिकेशन जारी होने से पहले ही वह रिटायर हो गए थे। इसलिए कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि 28 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही उन्हें अधिकतम पेंशन का लाभ मिलेगा। इसके बाद हरियाणा सरकार ने 25 अगस्त 2014 को नियमों में बदलाव कर दिया। फिर इसके बाद सरकार ने 20 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ जारी करने का फैसला लिया। लेकिन यह नियम केवल उन लोगों पर लागू किया गया था जो सेवा में मौजूद थे। पेंशनर्स को इसका लाभ नहीं दिया गया था। 2014 से पहले रिटायर हुए कर्मियों को लगा कि उनके साथ भेदभाव किया गया है। इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने अब फैसला सुना दिया है कि 2014 से पहले रिटायर सभी पेंशनर्स को 20 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।