Aaj Samaj (आज समाज), Electoral Bond Scheme, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आज मामले में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। कोर्ट ने इससे पहले मामले मेेंं लगातार तीन दिन तक दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार को अन्य विकल्प पर विचार के आदेश
पांच जजों की संविधान पीठ ने आज योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगाई और सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार करने के आदेश दिए। हालांकि पीठ में दो अलग विचार रहे, लेकिन चुनावी बॉन्ड पर पीठ ने सर्वसम्मति से रोक लगाने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। जजों ने कहा, अनाम चुनावी बॉन्ड संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।
एसबीआई को 2019 से जानकारी देने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
चुनावी बॉन्ड योजना में ये हैं प्रावधान
चुनावी बॉन्ड योजना के अनुसार, भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित इकाई द्वारा चुनावी बॉन्ड खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। बॉन्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन करती है, यह पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। साथ ही, विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का तर्क
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में नकदी को कम करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिए किए गए दान का विवरण केंद्र सरकार तक नहीं जान सकती। उन्होंने एसबीआई के चेयरमैन द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र को रिकॉर्ड पर रखते हुए कहा था कि अदालत के आदेश के बिना विवरण तक नहीं पहुंचा जा सकता।
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