अंबाला। 1977 में हुए आम चुनाव के वक्त इमरजेंसी सबसे बड़ा फैक्टर था। हालांकि इंदिरा गांधी ने आनन-फानन में चुनाव की घोषणा की थी। बहुत कम समय मिला था चुनाव के लिए, बावजूद इसके जनता में इमरजेंसी के प्रति एक अलग तरह का माहौल था।
25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक भारत में इमरजेंसी लगी रही। इसी दौरान 23 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक से ऐलान कर दिया कि देश में चुनाव होंगे।
16 से 19 मार्च तक चुनाव हुए। 20 मार्च से काउंटिंग शुरू हुई और 22 मार्च तक लगभग सारे रिजल्ट आ गए। यह पहला मौका था कि कांग्रेस भारत में बुरी तरह हारी थी। मात्र 153 सीटें मिली थीं कांग्रेस के गठबंधन को।
विपक्ष इस चुनाव में एक हो गया था। इस गंठबंधन को जनता पार्टी कहा गया। पर ये लोग लड़े भारतीय लोक दल के सिंबल पर। इनको 295 सीटें मिली थीं मोरारजी देसाई इस गठबंधन के नेता थे।
जनता पार्टी के गठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया, शिरोमणि अकाली दल, पेजैंट्स एंड वर्कर्स पार्टी आॅफ इंडिया, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, आॅल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया, डीएमके पार्टियां थीं। सबने भारतीय लोकदल के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा।
कांग्रेस के गठबंधन में एआईडीएमके, सीपीआई, जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी शामिल थे। दोनों ही गठबंधन को दो-दो निर्दलियों का समर्थन प्राप्त था।
इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी के साथ रहे जगजीवन राम ने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नाम से पार्टी बना ली और जनता पार्टी के साथ आ गए। हेमवती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी भी जनता पार्टी के साथ आ गए।
1977 के चुनाव में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इंदिरा गांधी के खिलाफ था।
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कई बड़े नेताओं को मिली हार
1977 के चुनाव में कई बड़े लोग हारे थे। नॉर्थ इंडिया में तो कांग्रेस के लगभग सारे बड़े नेता हार गए थे। वहीं साउथ इंडिया में कांग्रेस को इतनी बुरी हार नहीं झेलनी पड़ी। वहां पर जनता पार्टी के भी कुछ कैंडिडेट हार गए थे। इंदिरा गांधी के खिलाफ बहुत गुस्सा था। जज इग्नोर किए जाने से नाराज थे। नेता जेल जाने से नाराज थे। कर्मचारी कड़ाई होने से नाराज थे। जनता में अलग तरह का गुस्सा था। नतीजा यह हुआ कि इंदिरा गांधी को एक मामूली नेता ने हरा दिया। संजय गांधी, सिद्धार्थ शंकर रे, वी सी शुक्ला जैसे नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा।