57 साल बाद आदमपुर में हारा भजनलाल परिवार
Chandigarh (आज समाज) चंडीगढ़: अबकी बार का विधानसभा चुनाव हरियाणा के कई दिग्गज और उम्रदराज नेताओं के लिए किसी दुस्वप्न से कम साबित नहीं हुआ, न केवल उनको हार का सामना करना पड़ा बल्कि अगले 5 साल तक उनके सामने अब सक्रिय राजनीति से दूर होकर घर बैठने की नौबत आ गई है। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा झटका कांग्रेसी दिग्गज और नेता प्रतिपक्ष रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र को लगा। इनके अलावा प्रदेश के कई राजनीतिक परिवारों के लिए भी यह चुनाव बड़े सदमे के रूप में सामने आया।
बीजेपी सरकार में बगैर विधायक बने अंतिम समय तक मंत्री रहे 79 वर्षीय रणजीत चौटाला भी अपनी छवि का करिश्मा नहीं दिखा पाए हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले रणजीत सिंह को भी जनता ने नकार दिया। रणजीत चौटाला को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से टिकट दिया था लेकिन वो इस चुनाव में भी हार गए थे। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रणजीत सिंह चौटाला के सक्रिय राजनीति में बने रहने की संभावना बेहद कम है।
हरियाणा भाजपा के बड़े चेहरे ओमप्रकाश धनखड़ को भी लगातार दूसरी बार चुनाव में हर का सामना करना पड़ा और एक तरह से अब उनकी राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि आने वाले समय में 2029 तक न तो लोकसभा चुनाव और ना विधानसभा चुनाव हालांकि फिलहाल वह संगठन में है और उनको कोई अन्य पद देकर एडजस्ट किया जा सकता है। अबकी बार कांग्रेस के कुलदीप वत्स ने 67555 वोट लेकर ओम प्रकाश धनखड़ को 16503 वोटों से हराया। ओम प्रकाश धनखड़ को 51052 वोट मिले हैं। इससे पहले बादली विधानसभा पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप से वो 11245 वोटों से हार गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले उनसे प्रदेश अध्यक्ष का पद भी ले लिया गया था और एक तरह से पार्टी में वह हाशिए पर चल रहे थे।
अबकी बार हरियाणा में कांग्रेस ने पूरा चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा था 72 सीट उनके कहने पर दी गई लेकिन बावजूद उसके कांग्रेस को हार का दंश झेलना पड़ा उनके बेटे व सांसद दीपेंद्र और समर्थक नेताओं के लिए किसी बड़े झटके से काम नहीं है। करारी हार के बाद पार्टी हाई कमान उनसे नाराज बताई जा रही है और पिछले दिनों समीक्षा बैठक में जब उनको बुलाया गया तो वह नहीं गए, इसके भी कई मायने लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा जोकि 76 साल के हो चुके हैं कि राजनीतिक पारी करीब करीब खत्म हो चुकी है। उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी राजनीतिक तौर पर आने वाला समय कठिनाई भरा बताया जा रहा है।
भाजपा की पहली सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बाद दूसरे सबसे बड़े हैवीवेट मिनिस्टर रहे कैप्टन अभिमन्यु को लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में हर का सामना करना पड़ा और एक तरह से अब उनके राजनीतिक करियर को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भी वह पार्टी में एक तरह से हाशिए पर चल रहे थे और हिसार लोकसभा सीट से उनका टिकट नहीं मिलने के बाद भी लगातार सवाल उठे थे कि क्या पार्टी ने उनको दरकिनार कर दिया है। चूंकि अब वह लगातार दूसरा विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं तो उनको अपने राजनीतिक भविष्य पर गहन चिंतन और मंथन की जरूरत बताई जा रही है।
उचाना विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह बहुत ही करीबी मुकाबले में बीजेपी के प्रत्याशी से हार गए। बृजेंद्र सिंह चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। वो हिसार सीट से बीजेपी सांसद भी रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में घर वापसी करने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह भी चुनाव हार गए हरियाणा में सबसे कम अंतर महज 32 वोट से चुनाव हारने वाले बृजेंद्र सिंह के राजनीतिक भविष्य पर भी एक तरह से सवालिया निशान लग गया है। अब उनके सामने ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। उनके पिता लगातार इस जुगत में थे कि सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने से पहले वह बेटे को प्रदेश की राजनीति में स्थापित कर दें लेकिन ऐसा फिलहाल तक नहीं हो पाया है।
होडल सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान को करारी हार का सामना करना पड़ा। उदय भान को सिर्फ 2595 वोटों से हार मिली। देवीलाल के पोते और ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला भी इस बार ऐलनाबाद से चुनाव हार गए हैं। अभय चौटाला को कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल ने हराया है। अभय सिंह चौटाला 15000 वोटों से चुनाव हारे हैं। अभय चौटाला को 62,865 वोट मिले थे। वही जननायक जनता पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की तो इस चुनाव में जमानत भी हो जब्त गई।
हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब भजनलाल परिवार को आदमपुर विधानसभा से पहली बार हार का सामना करना पड़ा। पहले कुलदीप बिश्नोई को हिसार लोकसभा से भाजपा ने टिकट नहीं दी तो अब उनके बेटे आदमपुर से विधानसभा चुनाव हार गए। आदमपुर से बेटे की हार से कुलदीप इतने व्यथित हुए कि वह सार्वजनिक मंच पर रोने लगे। अब मान जा रहा है कि वह राज्यसभा सीट के लिए जमकर लॉबिंग कर रहे हैं जो उनके लिए इतना आसान नहीं है।
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