Aaj Samaj (आज समाज), Election Results Semifinal Before 2024, नई दिल्ली: शुरुआत से इस वर्ष हुए विधानसभा चुनावी परिणामों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। तो क्या वाकई में ऐसा है। तीन प्रमुख राज्यों- राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा व लोकसभा चुनाव के लगभग दो दशक के डेटा पर गौर करें तो हर बार बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है।
- लोकसभा चुनाव की दशा व दिशा भी तय करेंगे परिणाम
बिछेगी लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात
इस बार माना जा रहा है कि इस साल हुए विधानसभा चुनावी नतीजों और राजनीतिक गतिविधियों से न केवल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछेगी बल्कि ये परिणाम लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा भी तय करेंगे। बता दें कि दक्षिण भारत से लेकर पूर्वोत्तर और उत्तर भारत के हिंदी भाषी समेत 9 राज्यों में इस वर्ष विधानसभा चुनाव हुए हैं। साल के शुरू में चार राज्यों में और पिछले महीने पांच राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में चुनाव हुए हैं। तीन दिसंबर को चार राज्यों के नतीजे घोषित किए गए। मिजोरम में मतगणना चार दिसंबर को होगी।
राजस्थान और मध्यप्रदेश के आंकड़ों पर 1998 से नजर
राजस्थान के चुनावी आंकड़ों पर 1998 से नजर डालें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग है। भले ही दोनों चुनावों के बीच कुछ महीने का गैप हो, लेकिन दोनों के परिणाम का एक दूसरे पर कोई खास असर नहीं पड़ता। 1998 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की अगुवाई में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बंपर वोट से सत्ता पर काबिज हुई थी। इसके बाद अगले साल यानी 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी पड़ी। हालांकि 2003 से लेकर 2014 के बीच राजस्थान में एक खास पैटर्न दिखाई दिया। इस दरम्यान जिस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, वही लोकसभा चुनाव में भी भारी पड़ी।
मध्य प्रदेश की सियासत भी तकरीबन राजस्थान जैसी
मध्य प्रदेश की सियासत भी तकरीबन राजस्थान जैसी है। 1998 में इस राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो अगले साल यानी 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ी। इसके बाद 2003-2004 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव, दोनों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया, पर उससे अगले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में वह अपना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई।
गठन के बाद छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक-दो लोकसभा सीटें जीत पाई है कांग्रेस
छत्तीसगढ़ का गठन 2000 में हुआ और इस राज्य के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 2003 के बाद से अब तक राज्य में किसी की भी सत्ता रही हो, लेकिन बीजेपी हर बार लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती रही है। छत्तीसगढ़ को राज्य बनाए जाने के बाद कांग्रेस अब तक यहां केवल एक या दो लोकसभा सीटें ही जीत पाई है।
लोकसभा चुनाव में बढ़ता रहा है बीजेपी का वोट शेयर भी
छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के पिछले दो दशक के विधानसभा व लोकसभा चुनाव परिणाम से पता लगता है कि हिंदी भाषी इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव का परिणाम चाहे जो हो, लेकिन बीजेपी लोकसभा चुनाव में हर बार भारी पड़ती रही है। विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर भी थोड़ा-थोड़ा बढ़ता रहा है।
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