Haryana Assembly Elections, (आज समाज), चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीनों के बाद जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से कुछ संकेत साफ हैं। पहला यह कि देश में मध्यप्रदेश और गुजरात के बाद हरियाणा में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी है। यानी उत्तर भारत में हरियाणा बीजेपी का नया मजबूत किला बन गया है।
- कामयाब रही सीएम बदलने की रणनीति
हकीकत में बदली प्रधानमंत्री मोदी की भविष्यवाणी
हरियाणा के नतीजों ने प्रधानमंत्री मोदी की उस भविष्यवाणी को भी हकीकत में बदल किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस का हश्र मध्यप्रदेश जैसा ही होगा। इसके अलावा इसलिए भी प्रदेश में बीजेपी तीसरी बार जीती क्योंकि पार्टी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेकर अपनी रणनीति में कई परिवर्तन किए थे। इन बदलावों में टिकट बंटवारे से लेकर वोटों का प्रति जाट ध्रुवीकरण और बाहरी नेताओं का समावेश शामिल है।
ओबीसी जातियों का डर बीजेपी के पक्ष में काम कर गया
हरियाणा के चुनावी परिणामों ने यह भी साबित कर दिया है कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने किसान और पहलवान के साथ ही जवान का जो नरेटिव सेट किया था, वह सतही था। ओबीसी जातियों का यह डर प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में काम कर गया कि अगर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई तो फिर जाटों की दबंगई शुरू हो जाएगी। ऐसे ही लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर जो दलित कांग्रेस में चले गए थे, वो इस बार बंट गए और बीजेपी को इसका लाभ मिला।
गैर जाट वोटर्स को भी गोलबंद करने में सफल रही बीजेपी
हरियाणा में बीजेपी की जीत से साफ है कि पार्टी लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए गैर जाट वोटर्स को गोलबंद करने में कामयाब रही है। खासकर एससी और ओबीसी समुदाय से आने वाले वोटरों को अपने पक्ष में अपने करने में पार्टी कामयाब रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव से ऐन पहले बीजेपी की सीएम बदलने की रणनीति भी कामयाब रही। नायब सैनी, ओबीसी समुदाय से आते हैं। उनके सीएम बनने से ओबीसी वोटर्स के बीच एक पॉजिटिव मैसेज गया।
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